मुंबई। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा मुंबई के तत्वावधान में युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सान्निध्य में नंदन वन मुंबई में मंत्र दीक्षा कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें मुंबई ज्ञानशाला के 1200 बच्चों, 470 प्रशिक्षिकाओं और सभी ज्ञानशाला संयोजकों की उपस्थिति रही। गुरुदेव के मुखारविंद से सभी बच्चों ने मंत्र दीक्षा ग्रहण की। सभी बच्चों ने विधिवत् गुरुदेव को वंदन किया। गुरुदेव ने फरमाया – यह ज्ञानशाला में प्रशिक्षण का ही प्रभाव है कि बच्चे इतने trained हो गए है कि थोड़ा इशारा करते ही सब अपने आप अच्छे से वंदना कर रहे है।
गुरुदेव ने फरमाया – “कोई भी बच्चे धार्मिक पाठ खुले मुंह नहीं बोले। साधु – संतों से बात करते समय भी मुंहपत्ती या कपड़ा लगाकर बोले, यदि कुछ नहीं हो तो हाथ लगाकर बोलें।” सभी बच्चों ने उसी समय गुरुदेव के इंगित का अनुसरण किया। साध्वी वर्याजी ने बच्चों को Truthसत्य and illusionभ्रम के एवं 18पाप के बारे में संक्षिप्त में समझाया। साध्वी प्रमुखा श्री विश्रुतविभाजी ने बच्चों को बेस्ट ज्ञानार्थी कैसे बनना है तो बेस्ट शब्द से उनको अच्छे से समझाया – B-How to breath? E-How to eat? S-How to sit? T-How to think /talk?
बच्चों कों हमेशा पॉजिटिव रहना चाहिए।अगर यह बातें बच्चों में आ गई तो वह बेस्ट ज्ञानार्थी बन जाएंगे।
दिनेश मुनि ने फरमाया – छोटे बच्चों में जितने संस्कार चाहें भरे जा सकते हैं , गुरुदेव के एक संकेत पर अधिकांश बच्चों ने मुखवस्त्रिका लगा ली या अपना हाथ मुख पर रख दिया। बड़ों को समझाने में तो बहुत समय लग जाता है पर बच्चे तो आसानी से समझ जाते हैं।
गुरुदेव से सराहना पाकर यह दिन जैसे मुंबई ज्ञानशाला के इतिहास में अंकित हो गया।
मुंबई ज्ञानशाला के 55 बच्चों और 55 प्रशिक्षिकाओं द्वारा मंत्र दीक्षा की गीतिका की मनमोहक प्रस्तुति दी गई। मंत्र दीक्षा पर 26 बच्चों ने एक नुक्कड़ नाटिका की प्रस्तुति दी। जो मंत्र दीक्षा के पांचों बिंदुओं पर आधारित थी। इस अवसर पर तीर्थंकर समवसरण प्रोजेक्ट बनाया गया, जिसके द्वारा मुंबई ज्ञानशाला ने गुरुदेव को 12व्रत, तेरापंथ प्रबोध, भक्तामर, नवीन प्रतिक्रमण और 25 बोल रूपी आध्यामिक भेंट प्रदान की।
मुंबई आंचलिक संयोजिका श्रीमती अनीता जी परमार ने मुंबई ज्ञानशाला कितने बच्चे, प्रशिक्षक एवं मुंबई ज्ञानशाला द्वारा क्या- क्या कार्य किए गए उनकी जानकारी दी। मुंबई ज्ञानशाला की सह संयोजिका राजश्री जी कच्छारा, विभागीय संयोजिका अंजु जी चौधरी ने पूरे कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की।
श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा मुंबई से मदन जी तांतेड़, नरेंद्र जी तांतेड़, नवरतन जी गन्ना ,दीपक जी डागलिया मुंबई ज्ञानशाला प्रायोजक चांदरतनजी सा दुगड़ का पूरा सहयोग मिला।
मुंबई अंचल का नंदनवन में मंत्र दीक्षा कार्यक्रम
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