- फडणवीस ने परमवीर सिंह को मोहरा बना कर महाराष्ट्र को बदनाम किया
मुंबई। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा है कि बीजेपी ने एक साजिश के तहत महाविकास आघाडी सरकार को बदनाम करने की कोशिश की. इसके लिए मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमवीर सिंह को एक मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया गया। पटोले ने कहा कि एंटीलिया विस्फोटकों की साजिश रचने के अलावा महाविकास आघाडी सरकार को बदनाम करने के लिए तत्कालीन गृह मंत्री पर 100 करोड़ रुपए की वसूली का झूठा आरोप लगाया गया। इस साजिश में मदद के करने के लिए अब इनाम के तौर पर निलंबित पुलिस अधिकारी परमवीर सिंह को शिंदे- फडणवीस सरकार ने फिर से बहाल करने का फैसला किया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि इस मदद के बदले शिंदे- फडणवीस सरकार ने कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना सिंह के निलंबन को रद्द कर उन्हें सेवा में लौटने में मदद की है।
इस संबंध में आगे बात करते हुए पटोले ने कहा कि कैट के आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि माननीय बॉम्बे हाईकोर्ट ने सीबीआई को स्पष्ट आदेश दिया था कि वह परमवीर सिंह के खिलाफ जांच कर चार्जशीट दायर कर विभागीय जांच करें. लेकिन शिंदे फडणवीस सरकार ने ऐसा नहीं किया. परमवीर सिंह को निलंबित कर दिया गया था लेकिन उनके निलंबन की हर तीन महीने में समीक्षा की जानी थी और विस्तार की आवश्यकता थी। हालांकि, शिंदे- फडणवीस सरकार ने न तो परमवीर सिंह की विभागीय जांच कराई और न ही उनका निलंबन बढ़ाया। इसलिए कैट ट्रिब्यूनल के समक्ष सुनवाई में राज्य सरकार के रुख से परमवीर सिंह को राहत मिली।
पटोले ने कहा कि जब मैं विधानसभा अध्यक्ष था तो दिल्ली में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से हुई मुलाकात में उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने उन्हें परमवीर सिंह के भ्रष्टाचार की फाइल दी थी। उन्होंने कहा कि संबंधित की ओर से उस फाइल की कॉपी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भी दी गई थी। इसके बाद परमवीर सिंह मुझसे मिलने आए। उस वक्त जब मैंने खुद उनसे इस बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि हमारे विभाग में ऐसे ही काम होता है। इससे साफ है कि प्रधानमंत्री कार्यालय, मुख्यमंत्री कार्यालय और लोकसभा अध्यक्ष कार्यालय को परमवीर सिंह के भ्रष्टाचार की पूरी जानकारी थी लेकिन इसके बावजूद भाजपा सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई तो दूर साधारण जांच तक नहीं कराई।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि एंटीलिया के पास विस्फोटकों से भरी कार पार्क करना, गृह मंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपये की उगाही का आरोप लगाना, यह सब महा विकास आघाडी को बदनाम करने के लिए किया गया था और इसके पीछे तत्कालीन नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस का हाथ था। मैंने विधानसभा में बार-बार यह कहा है और अब यह स्पष्ट है।
पटोले ने कहा कि कैट के आदेश को देखे तो परमवीर सिंह को क्लीन चिट नहीं दी गई है। ऐसा प्रतीत होता है कि शिंदे -फडणवीस सरकार ने जानबूझकर मामले को कमजोर किया है और तकनीकी दिक्कतों के आधार पर परमवीर सिंह को बचाने में मदद की है। परमवीर सिंह के मामले में शिंदे फडणवीस सरकार की गंदी मानसिकता राज्य की जनता के सामने आ गई है। फुले, शाहू, आंबेडकर के प्रगतिशील विचारों के इस राज्य में राजनीति इतने निचले स्तर पर कभी नहीं गई थी। शिंदे – फडणवीस सरकार ने इस फैसले से महाराष्ट्र को बदनाम करने का पाप किया है।