बांद्रा। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी संयमलताजी के सान्निध्य में शासनमाता साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी की प्रथम पुण्यतिथि पर श्रद्धासिक्त भावों से श्रद्धांजलियां अर्पित की।
साध्वीश्री संयमलता जी ने शासनमाता साध्वी प्रमुखा श्री जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा ममतामयी मां के गुणों गुलदस्ता आज भी हमारे मन को सुवासित कर रहा है। उनकी स्मृतियां रह रहकर हमारे मन को सूनेपन का अहसास दे रही है। जिनका जीवन विद्वता व विनम्रता का संगम था। साहित्यकार जैनेंद्रजी जैन कहा करते यदि किसी को लेखन की कला सीखनी है तो वह साध्वी प्रमुखाश्री जी से सीखे तथा उनके काव्यग्रंथों को पढ़कर बड़े-बड़े कवि भी अभिभूत हो जाते हैं।
दूसरी तरह आचार्य श्री महाप्रज्ञ फरमाते साध्वी प्रमुखा श्री जी की विनम्रता व समर्पण बेजोड़ है। हम परम सौभाग्यशाली हैं जो हमें ऐसी अद्वितीय, अनुपमेय, युगीन साध्वी प्रमुखा मिलीं। इनका जीवन कभी स्मृतियों से ओझल नहीं हो सकता। पल-पल उनकी यादें मन को बेचैन करती हैं। उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर हम श्रद्धा से उन्हें नमन करते हैं।
कार्यक्रम की मंगल शुरुआत महिला मंडल के सुमधुर मंगलाचरण से हुई। साध्वी मनीषा प्रभाजी ने उनके नेतृत्वकला के 50 वर्षों के सफर की काव्यधारा में प्रस्तुत की।
साध्वी रौनकप्रभाजी ने साध्वी प्रमुखा श्री जी असाधारण क्यों? अनके विशेषताओं को उद्घृत करके उनका असाधारणता की पुष्टि की।
कार्यक्रम में सांताक्रुज, खार, अंधेरी, मरीन ड्राइव, घाटकोपर के श्रद्धालुओं ने शिरकत की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्य सभा के कार्याध्यक्ष नवरतनमलजी गन्ना ने साध्वी प्रमुखा श्री जी को श्रद्धासिक्त भावों से भावांजलि अर्पित की।
जय भिक्षु फाउंडेशन के अध्यक्ष मदनचंद जी चपलोत ने अतिथियों का स्वागत किया। आभार ज्ञापन तेयुप बांद्रा के अध्यक्ष प्रशांतजी परमार ने किया।
कार्यक्रम का संचालन साध्वी मार्दवश्री ने किया। कार्यक्रम का आयोजन तेरापंथ समाज बांद्रा ने किया।
शासन माता साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी की प्रथम पुण्यतिथि पर बांद्रा में श्रद्धासिक्त भावों से श्रद्धांजलि अर्पित
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