मुंबई। तेरापंथ सभा के तत्वावधान में “रजत उत्कर्ष” की सुन्दर कार्यशाला “दस्तक” सुनहरे अवसर की सफल रही। आचार्य श्री महाश्रमण के मुंबई आगमन के उपलक्ष्य में यह विशेष सौगात का कार्यक्रम उनकी शिष्या साध्वी निर्वाण श्री जी की पावन सानिध्य में आयोजित हुआ।
उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए साध्वी श्री निर्वाण श्री जी ने कहा कि प्रतिमा साधना का विशेष संकल्प है। सत्य को जानना व उसे समझना बहुत अपेक्षित है। आचरण से पूर्व दर्शन स्पष्ट होना बहुत जरूरी है। आज जिन्होंने दर्शन प्रतिमा स्वीकार की है वे आगे भी स्वयं व्रतराधना में जोड़कर रखेंगे।
साध्वी श्री डॉ. योगक्षेमप्रभाजी ने अपने विशेष वक्तव्य में “सम्यकत्व” एवं दर्शन प्रतिमा को विस्तार से समझाया। गुरुदेव के स्वागत में तीन प्रतिमा धारण करना छहमासिक साधना का विशेष उपहार है।
साध्वी लावण्यप्रभाजी, साध्वी कुंदनयशाजी, साध्वी मुदितप्रभाजी एवं साध्वी मधुरप्रभाजी ने “रजत उत्कर्ष” से जुड़ जाओ श्रावकों गीत का संगान किया।
मुंबई तेरापंथ सभा के अध्यक्ष मदनजी तातेड, कार्याध्यक्ष नवरतनजी गन्ना, उत्कर्ष के संयोजक रतनजी सिंयाल, तेरापंथ सभा कुर्ला के अध्यक्ष कांतिलाल कोठारी ने अपने उदगार व्यक्त करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की। मंच संचालन वरिष्ठ कार्यकर्ता दिनेश जी सुतरिया ने कुशलतापूर्वक किया। कार्यक्रम कच्छी वीसा ओसवाल हॉल के विशाल हॉल में पूर्ण भव्यता लिए हुए रहा। नवभारत टाइम्स के वरिष्ठ संवाददाता अनुराग जी त्रिपाठी ने अपने उदगार व्यक्त किये। सुमंगल साधक सोहन जी सिंघवी व रजत उत्कर्ष के सह संयोजक तेजराजजी बम्बोरी ने अपने भाव प्रकट किये। मुंबई सभा के मंत्री दीपक जी डागलिया ने आभार प्रकट किया। इस अवसर पर 51 साधकों ने दर्शन प्रतिमा का संकल्प स्वीकार किया। यह जानकारी राजू जी अलबेला ने दी।
कुर्ला: “दस्तक सुनहरे अवसर का – साध्वी निर्वाण श्री जी
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