- मन और शरीर दोनों को स्वस्थ रखने का प्रयोग है प्रेक्षा ध्यान
बालोतरा। न्यू तेरापंथ भवन में शासन श्री साध्वी श्री सत्यप्रभा जी और साध्वी श्री प्रमोद श्री जी के सानिध्य में प्रेक्षा फाउंडेशन के तत्वावधान में छ दिवसीय प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का शुभारंभ हुआ । नवकार महामंत्र के मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत हुई ।
साध्वी श्री सत्यप्रभा जी ने इस अवसर पर प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि प्रेक्षा ध्यान स्वयं को देखने की कला है। प्रेक्षाध्यान ध्यान का सर्वोच्च रूप है। शुद्ध ध्यान से कर्मों की निर्जरा भी होती है ! प्रेक्षा ध्यान में ध्यान, कायोत्सर्ग, श्वास प्रेक्षा और यौगिक क्रियाओं द्वारा शरीर और मन दोनों को स्वस्थ करने का कार्य किया जाता है। साध्वी श्री विजय प्रभा जी ने विविध घटनाओं के माध्यम से ध्यान के महत्व को रेखांकित किया। प्रेक्षा प्रशिक्षक और सह संवाहक ममता गोलेच्छा ने प्रेक्षा ध्यान के उदभव और इतिहास की जानकारी दी और 15 मिनिट का कायोत्सर्ग का प्रयोग संभागियों को करवाया । प्रेक्षा वाहिनी सदस्य मीना ओस्तवाल ने यौगिक क्रियाओं के द्वारा सम्भागीयो को शरीर को स्वस्थ रखने की प्रेरणा दी। सह संवाहक विधि भंसाली ने समता-श्वास प्रेक्षा के विविध प्रयोग कराये ।
कार्यशाला में लगभग 120 सम्भागीयो ने भाग लिया। प्रेक्षा वाहिनी संयोजक जवेरीलाल सालेचा ने बताया कि यह कार्यशाला छ दिन तक प्रतिदिन न्यू तेरापंथ भवन में आयोजित होगी और ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस कार्यशाला से जुडने का आह्वान किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन प्रेक्षा प्रशिक्षक ममता गोलेच्छा ने किया।