फिल्म रिव्यू: कई अनसुलझे सवालों का जवाब है “हू एम आई”

अशोक जमनानी के उपन्यास “को अहम” पर आधारित फिल्म “हू एम आई” बिना किसी झिझक और आडंबरों का प्रदर्शन किये कई ऐसे सवालों का जवाब दे देती है, जिसे खोजने और समझने के लिए व्यक्ति ज़िंदगी गुजार देता है, लेकिन वे अनसुलझे ही रह जाते हैं। पूरी फिल्म नर्मदा के आसपास चलते हुए सारी कहानी कह डालती है। शिरीष प्रकाश द्वारा निर्मित फिल्म “हू एम आई” के निर्देशक शिरीष खेमरिया हैं जबकि मुख्य भूमिकाओं में चेतन शर्मा, ऋषिका चांदनी, सुरेंद्र रंजन एवं शशि वर्मा हैं।
कहानी: शुरुआत नर्मदा के तट पर एक धोती लपेटे युवक भवितव्य (चेतन शर्मा) एवं एक संत (सुरेंद्र रंजन) के साथ होती है। धोती लपेटा भवितव्य नर्मदा में नहाता है और संत उसे सदानंद कहकर पुकारते हैं। जबकि उसका नाम भव्यव्य है। वह संत से कुछ सवाल करता है, जिसके जवाब में संत कहते हैं, जैसे-जैसे मेरे साथ यात्रा में आगे बढोगे उनका जवाब मिलता जायेगा। फिल्म फ्लैशबैक में जाती है तो पता चलता है कि भव्यतव्य दर्शन शास्त्र (फिलोस्फी) का स्टूडेंट है और वह अपने सवालों के जवाब के लिए फिलोस्फी पढ़ रहा होता है। एक दिन कॉलेज में प्रोफ़ेसर वीएलएन सर (शशि वर्मा) सभी स्टूडेंट से पूछते हैं कि आखिर आप सभी फिलोस्फी क्यों पढ़ना चाहते हैं, इस पर सभी अपनी-अपनी बात बताते हैं। कोई कहता है मुझे कमाने के लिए पढ़ना है तो कोई कहता है घर वालों की वजह से। इस पर प्रोफ़ेसर उन्हें गाइड लेकर पढ़ने की सलाह देते हैं, लेकिन एक स्टूडेंट चुप रह जाता है, जब उससे दोबारा पूछते हैं कि तुम भी तो बताओ कि क्यों फिलोस्फी पढ़ना चाहते हो? इस पर भव्यव्य कहता है, मुझे मेरे सवालों का जवाब जानना है। अब आगे कहानी क्या क्या मोड़ लेती, उसे सवालों का जवाब किस तरह मिलते हैं, यह बेहद दिलचस्प है। फिल्म में एक प्रेम कहानी भी है, जो बहुत ही रोचक है। 2 घंटे की फिल्म देखने के बाद लगता है कि हमने फिलोस्फी की कोई किताब पढ़कर ख़त्म की हो।

कहानी/निर्देशन व एक्टिंग: बेहद सधे हुए अभिनय और निर्देशन में बनी फिल्म “हू एम आई” की कहानी बहुत बेजोड़ है। दरअसल किसी भी फिल्म में यही तीन चीज़ें इसे बढ़िया या खराब बनाती हैं, जबकि “हू एम आई” में ये तीनों चीजें बेहतर बन पड़ी हैं। भव्यतव्य की भूमिका में चेतन वर्मा की जबरदस्त एक्टिंग की है तो संत की भूमिका निभा रहे सुरेंद्र रंजन के हाव भाव और डायलॉग डिलेवरी बहुत ही बढ़िया बन पड़े हैं। इसी तरह प्रोफेसर वीएलएन के रोल में शशि वर्मा ने भी चार चांद लगा दिए हैं। इसी तरह यदि हम कहानी और निर्देशन की बात करें तो फिल्म की कहानी “को अहम” उपन्यास पर आधारित हो जो खुद में ही बहुत शानदार है और इस पर बनी यह फिल्म बेहतर ढंग से पर्दे पर उतरी है तो इसके सबसे अधिक क्रेडिट निर्देशन को ही जाता है। बीच बीच में फिल्म के गीत पूरी फिल्म को बेहतर ही बनाते हैं। लोकेशन का चुनाव भी बेहतरीन है।
फिल्म एंटरटेन और कमर्शियल एंगल से भले ही आम लोगों को पसंद न आए लेकिन गंभीर फिल्में पसंद करने वालों को यह फिल्म खूब पसंद आएगी। कुल मिलाकर अच्छी कहानी, अच्छे निर्देशन, अच्छे अदाकारी के साथ ही बेहतरीन फिल्म बनी है। सुरभि सलोनी की तरफ से “हू एम आई” को 4 स्टार.

  • दिनेश कुमार

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