नई दिल्ली। वरिष्ठ समाजवादी नेता, पूर्व सांसद एवं मंडल कमीशन के हीरो शरद यादव जी नहीं रहे। 75 वर्षीय श्री शरद यादव ने गुरुग्राम के फोर्टीस अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन की खबर उनकी बेटी ने ट्वीट करते हुए दी। शरद यादव की बेटी शुभाषिनी यादव ने ट्वीट में लिखा, ‘पापा नहीं रहे’। वरिष्ठ समाजवादी नेता एवं सामाजिक न्याय के पुरोधा के नाम से प्रसिद्ध शरद यादव के निधन की खबर सुनते ही देश के दबे कुचले एवं सामाजिक न्याय के पक्षधर लोगों में शोक की लहर फैल गई।
1 जुलाई 1947 को जन्मे श्री यादव 7 बार लोकसभा के सदस्य रहे। बेहद स्पष्टवादी एवं दलितों-पिछड़ों व वंचितों के रहनुमा शरद यादव राजनीति के क्षेत्र में बेहद चहेतों नेताओं में से एक थे। कई बार उन्होंने अच्छे लोकसभा सदस्य के रूप में तारीफें भी बटोरी।
जानकारी के अनुसार, शरद यादव की तबीयत काफी दिन से खराब चल रही थी। हालत ज्यादा बिगड़ने पर गुरुवार की शाम उन्हें गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया। रात 9 बजे उनका निधन हो गया। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लालू यादव, बिहार के डिप्टी CM तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा, भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद समेत कई नेताओं ने दुख जताया है।
Pained by the passing away of Shri Sharad Yadav Ji. In his long years in public life, he distinguished himself as MP and Minister. He was greatly inspired by Dr. Lohia’s ideals. I will always cherish our interactions. Condolences to his family and admirers. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 12, 2023
शरद यादव उन नेताओं में रहे हैं, जो लालू प्रसाद और नीतीश कुमार दोनों के साथ काम किया। नीतीश कुमार से राजनीतिक रिश्ते खराब होने के बाद शरद यादव अलग-थलग पड़ गए। गंभीर रूप से बीमार होने की वजह से उनकी राजनीतिक गतिविधियां काफी कम हो गई थीं। शरद यादव ने 1999 और 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में विभिन्न विभागों में मंत्री रहे। 2003 में शरद यादव जनता दल यूनाइटेड (JDU) के अध्यक्ष बने थे। वह NDA के संयोजक भी रहे। साल 2018 में जदयू से अलग होकर लोकतांत्रिक जनता दल (LJD) बनाया था। पिछले साल अपनी पार्टी के RJD में विलय की घोषणा कर दी थी।