- ईड़वावासियों ने विशाल व भव्य स्वागत जुलूस के साथ किया अपने आराध्य का अभिनन्दन
- पूरा गांव बना महाश्रमणमय, जयघोषों से गुंजायमान हो उठी गली-गली
- मानव जीवन मोक्ष प्राप्ति का द्वार, मानव जीवन को बनाएं सफल : महामानव महाश्रमण
- पूर्व सांसद सहित ईड़वावासियों ने दी गुरुचरणों में दी अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति
22.11.2022, मंगलवार, ईड़वा, नागौर (राजस्थान)। मानव-मानव में मानवता का प्रकाश फैलाने को निरंतर गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान देदीप्यमान महासूर्य युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी मंगलवार ईड़वा में उदित हुए तो पूरा ईड़वा जगमगा उठा। अपने वर्तमान अनुशास्ता का पहली बार अभिनन्दन और स्वागत में ईड़वा का मानों जन-जन उमड़ पड़ा था।
मंगलवार को डेगाना से आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगल प्रस्थान किया। डेगानावासी अपने आराध्य के प्रति कृतज्ञता के भाव ज्ञापित कर रहे थे। सभी को मंगल आशीष प्रदान करते हुए आचार्यश्री ईड़वा की ओर गतिमान हुए। आचार्य बनने के बाद पहली बार ईड़वा की धरती पर पधार रहे आचार्यश्री के अभिनन्दन में मानों ईड़वा गांव उत्साहित नजर आ रहा था। गांव की प्रत्येक गली बैनर आदि से पटी हुई थी। उत्साही श्रद्धालु मार्ग में पहुंचकर आचार्यश्री के चरणों का अनुगमन कर रहे थे।
लगभग चौदह किलोमीटर की का विहार कर तेरापंथ के वर्तमान देदीप्यमान महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमणजी जैसे ही ईड़वा गांव के बाहर पधारे तो हजारों की संख्या में उपस्थित ग्रामीणों ने मानवता के मसीहा का भावभीना अभिनन्दन किया। स्कूली बच्चों सहित लोगों की विराट उपस्थिति में जैन-अजैन का भेद करना मुश्किल था। भव्य और विराट जुलूस के साथ आचार्यश्री ने ईड़वा गांव में प्रवेश किया तो गांव की गलियां जयकारों से गुंजायमान हो उठीं। घरों के बरामदों और झरोखों पर भी खड़े लोग आचार्यश्री की एक झलक पाने को लालायित थे। भव्य जुलूस के साथ आचार्यश्री प्रवास हेतु ओसवाल भवन में पधारे।
प्रवास स्थल से कुछ सौ मीटर की दूरी पर स्थित गांव के गढ़ के सामने मुख्य प्रवचन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। प्रवचन स्थल पर भी श्रद्धालुओं की विराट उपस्थिति से वह बड़ा स्थान भी मानों छोटा-सा समझ आ रहा था। आचार्यश्री का वहां पदार्पण होते ही पूरा गांव जयनिंनादों से गूंज उठा। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व ईड़वावासियों को साध्वीप्रमुखाजी ने उद्बोधित किया।
आचार्यश्री ने अपनी मंगलवाणी से ईड़वावासियों को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि दुनिया में अनंत प्राणी हैं। उनमें थोड़े संज्ञी मनुष्य भी हैं। इनमें से कुछ मनुष्य ही ऐसे होंगे जो इस जन्म के बाद मोक्ष का वरण कर सकते हैं, अन्यथा कोई ऐसा प्राणी नहीं है जो सीधे मोक्ष को प्राप्त कर सके। यह मानव जीवन मोक्ष प्राप्ति का मानों गेट है। बिना मानव जीवन प्राप्त किए बिना मोक्ष की प्राप्ति संभव नहीं। इस मानव जीवन रूपी से गेट से आत्मा निकल ही मोक्ष को प्राप्त कर सकती है। इसलिए आदमी को सौभाग्य से प्राप्त इस मानव जीवन को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। मानव जीवन से इस संसार रूपी भवसागर से पार उतरने का प्रयास करना चाहिए। मानव जीवन को पाप कर्मों के द्वारा गंवाने की बजाय साधना, आराधना और तपस्या के द्वारा अपने कर्मों का क्षय करने तथा मोक्ष प्राप्ति की दिशा मंे आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री ने ईड़वावासियों को मंगल पाथेय के उपरान्त सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की प्रेरणा प्रदान की तो उपस्थित विशाल जनमेदिनी ने आचार्यश्री से संकल्पों को स्वीकार किया। आचार्यश्री के स्वागत में पूर्व सांसद श्री गोपाल सिंह शेखावत ने अपनी भावाभिव्यक्ति देते हुए कहा कि आप जैसे महामानव के चरणरज को पाकर आज हमारा ईड़वा धन्य हो गया। श्री सुभाष सुराणा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल ने स्वागत गीत का संगान किया। तेरापंथ समाज ने गीत के माध्यम से अपने आराध्य की अभिवंदना की। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी।