– बड़ी खाटूवासियों ने महातपस्वी आचार्यश्री का किया स्वागत-अभिनंदन
– सच्चाई और अच्छाई के मार्ग पर चलने का करें प्रयास : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण
– उपस्थित विद्यार्थियों व ग्रामीणों ने आचार्यश्री से स्वीकारे तीन कल्याणकारी संकल्प
*19.11.2022, शनिवार, बड़ी खाटू, नागौर (राजस्थान)। छोटी खाटूवासियों को अपनी कृपा वर्षा आप्लावित कर जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान देदीप्यमान महासूर्य, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी शनिवार को प्रातः की मंगल बेला में गतिमान हुए तो अपने आराध्य के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने को श्रद्धा का ज्वार उमड़ पड़ा। गांव की गलियों, सड़कों, चौराहों पर सभी धर्म, जाति, वर्ग के लोग आचार्यश्री के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित कर रहे थे कि आपने तो बिना मांगे ही हमारे गांव को मोतियों से भर दिया। सभी पर आशीष वृष्टि करते हुए आचार्यश्री गांव से बाहर पधारे। राजस्थान के इस भूभाग में रेत टीलों के साथ-साथ यत्र-तत्र पहाड़ियां भी नजर आ रही थीं। किन्हीं समय में ये पहाड़ियां अपने पूर्ण अस्तित्व में थी। ये पहाड़ियां अरावली पहाड़ी शृंखला की हुआ करती थीं, किन्तु अंधाधुंध रूप से हुए कटाव के कारण ये कहीं-कहीं ही दिखाई दे रही थीं। घुमावदार रास्तों पर लगभग साढ़े सात किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री अपनी धवल सेना संग बड़ी खाटू में पधारे। यहां के श्रद्धालुओं, ग्रामीणों और विद्यार्थियों ने महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी का भावभीना स्वागत किया।
आज का मंगल प्रवचन कार्यक्रम बड़ी खाटू स्थित रेलवे स्टेशन के प्रांगण में रखा गया था। मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व साध्वीप्रमुखाजी ने उपस्थित जनता को उद्बोधित किया। युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित परिषद को मंगल संबोध प्रदान करते हुए कहा कि एक प्रश्न हो सकता है कि सत्य क्या है? हम जिस दुनिया में जी रहे हैं और जो कुछ देख पा रहे हैं क्या उतना ही सत्य है? यह दुनिया बहुत बड़ी है। सृष्टि में कितनी-कितनी चीजे हैं। जिन्हें हम देख भी नहीं पाते। जितने जीव इस धरती पर हैं, उससे अधिक संख्या में कहीं देवता होते हैं तो उसी प्रकार नारकीय जीव भी होते हैं। ऐसे में एक समाधान बताया गया कि वही सत्य है जिसे जिन जिनेश्वरों ने प्रवेदित किया है।
आदमी को अपने जीवन में सच्चाई और अच्छाई के मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए। सत्य बोलें और प्रिय बोलें। ऐसा न हो कि सत्य हो और वह कटु तथा ऐसा भी न हो कि मिठा हो, किन्तु झूठा हो। इसलिए सत्य और प्रिय बोलने का प्रयास करना चाहिए। शब्द से ज्यादा भाव का प्रभाव होता है। जीवन में सच्चाई और अच्छाई के मार्ग पर चलने के लिए अध्ययन के द्वारा सच्चाई और अच्छाई को जानने का भी प्रयास होना चाहिए। साफ कहने वाले को साफ सुनने वाला भी बनना पड़ता है। अयथार्थ भाषण से बचने का प्रयास करना चाहिए। बच्चों में भी सच्चाई और अच्छाई का प्रभाव बना रहे तो उनका जीवन भी हो सकता है। आचार्यश्री की प्रेरणा से प्रभावित होकर उपस्थित विद्यार्थियों और अन्य ग्रामीणों ने आचार्यश्री से जीवन के लिए कल्याणकारी सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संकल्पों को स्वीकार किया। आचार्यश्री ने नगर में धर्म की भावना बने रहने का मंगल आशीर्वाद प्रदान किया।
आचार्यश्री के स्वागत में कोठारी परिवार ने गीत का संगान किया। श्रीमती चन्दनबाला, सुश्री अभिलाषा, श्री गजेन्द्र कोठारी, श्रीमती सरोज कोठारी, श्री श्रीराम टेलर व श्री रणजीत गुर्जर ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी।