कोटा। साध्वी अणिमा श्रीजी के सान्निध्य में पूज्य गुरुदेव से आज्ञा प्राप्त कर मुमुसु श्रेणी में प्रवेश पाने को समुत्सुक बालक प्रबुद्ध का सभा के तत्वावधान में मंगल भावना समारोह आयोजित हुआ। उपस्थित जनमेदिनी ने प्रबुद्ध के मुमुक्षाभाव की अभिवंदना करते हुए उसके सुखद भविष्य की मंगलकामना की।
साध्वी श्री अणिमाश्रीजी ने अपने मंगल उद्द्बोधन में कहा- दुनियां में कुछ ऐसे विरल व्यक्ति होते हैं जो भौतिकता की चकाचौंध में भी अपने जीवन में अध्यात्म का दीप प्रज्ज्वलित कर अपने सम्पूर्ण जीवन को आलोकित कर लेते है। कुछ ऐसे भी संकल्पी पुरुष इस धरती पर पैदा हुए हैं, जो असंयम के कोलाहल में संयम का शंखनाद कर अपनी सोई शक्ति को जागृत कर लेते है। कुछ ऐसे व्यक्तित्व होते हैं, जो राग से विराग की ओर, आसक्ति से अनासक्ति की ओर चरणन्यास करते हैं। उन विरल व्यक्तियों में एक नाम ओर जुड़ रहा है- “प्रबुद्ध नौलखा” का।
बालक प्रबुद्ध बचपन से ही संयम का संस्कार लेकर आया और इस चातुर्मास में उसे सिंचन मिला। एक नन्हा सा बीज पल्लवित व पुष्पित होने के लिए मुमुक्षु बनने के लिए गुरुचरणों में जा रहा है। हमारे कोटा चातुर्मास की यह विशिष्ट उपलब्धि है। हम यही मंगलकामना करते हैं कि वीतरागता की ओर उठे ये कदम वीतराग बनकर ही कृतकाम बने।
बालक प्रबुद्ध ने अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा- मैं साध्वीश्री अणिमा श्रीजी एवं सभी साध्वीवृन्द का हृदय से आभारी हूँ जिन्होंने मेरे भीतर नई प्राणवत्ता का संचार किया। मेरी सोई शक्ति को जागृत किया। आपकी प्रेरणा व प्रोत्साहन से ही मैं संयम पथ पर बढ़ने के लिए तैयार हुआ। पूज्य गुरुदेव के चरणों में बैठकर में साधना का मार्ग प्रशस्त की साध्वी कणिका श्रीजी ने विचार रखे। साध्वी डॉ. सुधाप्रभा जी ने मंच का कुशल संचालन किया। सभाध्यक्ष श्री संजय बोथरा, तेपुप मंत्री कमलेश जैन, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष श्री अशोक दुग्गड़, महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती उषा बाफना पूर्व अध्यक्ष मंजु सुराणा, श्रीमती राजु देवी नौलखा श्रीमती शिल्पा नौलखा श्रीमती प्रेम जैन ने अपने भावों की प्रस्तुति दी । महिलामंडल ने सुंदर गीत की प्रस्तुति दी। श्रीमती प्रियंका पारख का उसकी अच्छी सेवा एवं मीडिया कार्य के लिए सम्मान किया गया। सभा महिला मंडल की और से प्रबुद्ध का भी सम्मान किया गया। विस्तृत जानकारी ते.यू.प कोटा के मिडिया प्रभारी सौरव दस्साणी ने दी।
कोटा में मंगल भावना समारोह: प्रबुद्ध का मुमुक्षु बनना हमारे चातुर्मास की विशिष्ट उपलब्धि है – साध्वी श्री अणिमा श्रीजी
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