- हरीपुर की सात दिवसीय रामलीला का हुआ समापन, बरिष्ठ लोगों का हुआ सम्मान
- राम-लक्ष्मण, रावण, अंगद, हनुमान, मंथरा, सुपर्णखा की भूमिका रहीं अद्वितीय
भदोही/प्रभुनाथ शुक्ल। आदर्श रामलीला समिति हरीपुर अभिया की सात दिवसीय रामलीला का रविवार को रावण, कुम्भकर्ण, अहिरावण और मेघनाद वध के साथ समापन हो गया। प्रभु श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटने पर दिवाली का उत्सव मनाया गया। गुरु वशिष्ठ के आदेश के श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ। दिन में भरत मिलाप मेले आयोजन हुआ।
भदोही जनपद की ऐतिहासिक रामलीला में श्रीराम ने रावण , कुम्भकरण, मेघनाथ का का वध किया। रावण को जब पता चला कि लक्ष्मण मूर्छा से जाग गए हैं इसके बाद उसने मेघनाथ को युद्ध के लिए भेजा। मेघनाथ युद्ध में विजय पाने के लिए निकुम्भला देवी पर विजय यज्ञ किया। लेकिन यज्ञ भी युद्ध में काम नहीं आया। भीषण संग्राम में मेघनाद मारा गया। फिर रावण, भाई कुम्भकरण के पास गया। कुम्भकरण निद्रा से जागने के बाद रावण को समझाने की कोशिश किया, लेकिन रावण नहीं माना। राम और कुम्भकरण के बीच हुए युद्ध में श्रीराम की विजय हुईं और कुम्भकरण मारा गया। इसके पूर्व हनुमान ने अहिरावण का वध कर श्रीराम और लक्ष्मण को अहिरावण से मुक्त कराया। घनघोर संग्राम में अहिरावण मारा गया और हनुमान एवं उनके पुत्र मकरध्वज के मध्य भी संवाद हुआ।
अंतिम समय में लंकाधिपति रावण अपनी सेना के साथ स्वयं युद्ध मैदान में उतरा। श्रीराम और रावण के बीच घनघोर संग्राम हुआ। दोनों के बीच हुए संवाद ने दर्शकों का मनमोह लिया। रावण और हनुमान के बीच मुष्टीक युद्ध हुआ जिस पर दर्शक तालियां बजाते रहे। रावण की भूमका में प्रभुनाथ शुक्ल और श्रीराम की भूमिका में भोला सिंह, लक्ष्मण की भूमिका में विंध्यवासिनी दूबे और कुम्भकरण की भूमिका में राजेश शुक्ल, दिनेश शुक्ल, विजय शुक्ल और बैकुंठनाथ के साथ हनुमान की भूमिका में पंकज दूबे, अंगद की भूमिका में अनिल शुक्ल,विभीषण की भूमिका में राजेंद्र सिंह का अभिनय सराहनीय रहा। सुपर्णखा की भूमिका में नेमधर दूबे, मंथरा में हरिओम तिवारी को लोगों ने खूब सराहना।
दिन में भरत मिलाप मेले में भारी भीड़ उमड़ी। रात्रि में सात दिवसीय रामलीला का राजतिलक के बाद समापन हुआ। समापन में पंडित देवी शंकर मिश्र, अनिल सिंह, सुधाकर दूबे और राकेश वर्मा मौजूद रहे। इस दौरान समिति के अध्यक्ष शंभूनाथ शुक्ल,सत्यप्रसाद शुक्ल, दिनानाथ शुक्ल और ठकुर प्रसाद शुक्ल को सम्मानित किया गया। समापन की घोषणा के बाद संतोष दूबे ने सभी पचास पात्रों को दिवाल घड़ी भेंट किया।