वसई। साध्वी प्रज्ञाश्रीजी ठाना 4 के सानिध्य में 4 कण्ठीतप श्रीमती भीखी देवी सिंघवी श्रीमती आशाजी कावड़िया श्रीमती भावना जी सोलंकी श्रीमती सरोज जी मेहता का तप अभिनंदन किया गया।
साध्वी प्रज्ञाश्रीजी ने अपने मंगल उद्धबोधन में फ़रमाया की एक कार्य मे घंटो स्थिर वही रह सकता है जिसने अपने जीवन मे समय को पहचान लिया है अपनी क्षमता को पहचान लिया और उस पर चलना सीख लिया है। जिस व्यक्ति ने समय को जाना क्षमता को पहचाना ओर ऐसे ही 4 तपस्वी जिन्होंने 4 बल मनोबल संकल्पबल धृतिबल आत्मबल मजबुत किया और इन्ही के बल पर सफलता को प्राप्त किया है।आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी अक्सर फरमाते मेरा गुरु मेरी आत्मा ऐसे ही बहनो ने अपनी आत्मा को मजबूत कर तप से कर्म निर्जरा में आगे बढ़ी है।
साध्वी सरलप्रभाजी की तप के लिए तपस्वियों को प्रबल प्रेरणा रहती है ने व्यक्तव्य से सभी को प्रेरणा प्रदान की साध्वी विनयप्रभा जी साध्वी प्रतिकप्रभाजी ने गीतिका के माध्यम सभी के मनोबल को मजबूती प्रदान की।
मुम्बई सभा के कोषाध्यक्ष हस्तीमलजी डांगी ने तपस्वी बहन की अनुमोदना के साथ उत्कर्ष की जानकारी देते हुए सभी को परिक्षा की प्रेरणा भी दी।
कार्यक्रम का मंगलाचरण वसई महिला मंडल की बहनो द्वारा किया गया।कार्यक्रम में समाज एवं तपस्वी बहनो के घर से प्रकाश जी संचेती, हस्तीमल जी डांगी, लक्ष्मी लालजी मेहता, पारस जी बापना, विनोदजी सोलंकी, कमलेश जी बापना अनुराधा जी सिंघवी,ममता जी मेहता, ख्याति बापना, ऋत्वि बापना,जितेश हिरण, मंजू बापना, नालासोपारा महिला मंडल की बहन,सोलंकी परिवार की बहनो ने अपने भावो की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन करुणा जी कोठारी ने किया।
वसई में 4 कण्ठीतप की तप अनुमोदना
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