- 27 वर्षीय मुनिश्री प्रतीक कुमार जी ने रचा इतिहास
- भव्य तप अभिनंदन में मेवाड़ के तमाम जानी मानी हस्तियां बने समारोह की साक्षी
शिशोदा। शिशोदा में 13 सितंबर 2022 को आयोजित तपस्वियों के अभिनंदन व मुनि प्रतीक कुमार जी के महासर्वतोभद्र प्रतिमा तप की सम्पन्नता पर मुनि यशवंत कुमार जी ने कहा कि जैनशासन के इतिहास में अनेक तपस्वी हुए हैं जिन्होंने दुष्कर महादुष्कर तप संपन्न किए हैं । हमारे तेरापंथ के इतिहास में भी अनेक बड़े-बड़े तपस्वी हुए हैं। उन्हीं की कड़ी में आज एक नया नाम जुड़ने जा रहा है वह मुनि प्रतीक कुमार जी का। आज इनका महासर्वतोभद्र तप संपन्न होने जा रहा है। यह अपने आप में बहुत कठिन तप है । 262 सालों के इतिहास में हमारे यहां ये तप सिर्फ दूसरी बार ही हुआ है। 245 दिनों के इस कठिन तप में तपस्वी को 196 दिन उपवास करना होता है जिसमें वह सिर्फ पानी ही पी सकता है। 49 दिन पारणे के होते है। इन्होंने मात्र 27 वर्ष की लघुवय में ये कठोर तप करके यह सिद्ध कर दिया कि तप करने के लिए कोई उम्र देखने की जरूरत नहीं है। इतनी छोटी उम्र में इस कठोर तप को संपन्न करके एक नया इतिहास बनाया है। मैं इनके प्रति बहुत-बहुत मंगल कामना करता हूं।
तपस्वी मुनि प्रतीक कुमार जी ने अपने वक्तव्य में कहा आज मेरा जो यह तप संपन्न हो रहा है उसके पीछे गुरुदेव की ही शक्ति है। उनकी ही कृपा है और उन्हीं के आशीर्वाद व प्रताप से मैं यह तप कर पाया हूं। आचार्य प्रवर के प्रति अनंत अनंत कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं। इस अवसर पर मैं अपने परम उपकारी मंत्रीमुनि श्री और साध्वीप्रमुखा श्री कनकप्रभा जी का भी स्मरण करता हूं।
तपस्वी मुनि श्री ने अनेकों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की जिन्होंने मुझे तपस्या में सहायता प्रदान की। आगे मुनिश्री यशवंत कुमार जी के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा मुनि श्री यशवंत कुमार जी के सहयोग से ही यह तप संपन्न हुआ है यदि उनका सहयोग नहीं होता तो शायद तप संपन्न होता भी या नहीं कुछ कह नहीं सकता। इसलिए मैं मुनि श्री के प्रति बहुत बहुत कृतज्ञ हूं । मुनि प्रतीक कुमार जी ने शिशोदा ग्रामवासियों के प्रति भी बहुत कृतज्ञता ज्ञापित कि ऐसा श्रावक समाज मुझे मिला जो हर क्षण हर समय मुझे तपस्या में सहयोग देता रहा है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में मेवाड़ राजघराने के युवराज महाराजकुमार श्री विश्वराजसिंह जी सा मेवाड़ – उदयपुर , भंवरकुमार सा देवजादित्य सिंह जी सा मेवाड़ – उदयपुर , बनेड़ा राजघराने के राजाधिराज गोपाल चरण सिंह जी सिसोदिया – बनेड़ा और रानी सा. विजयलक्ष्मी कुमारी जी राठौड़ – बनेड़ा उपस्थित थे।मेवाड़ के महाराजकुमार व भंवरकुंवर सा व राजाधिराज बनेड़ा ने मुनिश्री को दान देकर पारणा करने का निवेदन किया। उसके पश्चात मुनिश्री यशवंत कुमार जी ने मुनि प्रतीक कुमार जी को आहार का ग्रास देकर तप संपन्न करवाया।
मेवाड़ की अनेक रियासतों से गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे जिनमें सिंगोली के कुंवर प्रदीप कुमार सिंह जी , महाराज रतन सिंह जी किशनपुरा, कुंठवा के ठाकुर केसर सिंह जी चुंडावत, महाराज कल्याण सिंह जी जोरावरपुरा , प्रताप सिंह जी सा झाला आदि।
इसी क्रम में श्री पदमचंद जी पटावरी , शांतिलाल जी सोलंकी , रमेश जी धाकड़ , रोशन लाल जी धाकड़ , अशोक जी मेहता , दिलीप जी सरावगी , सुरेंद्र जी डागलिया, रूपचंद जी दूगड़ , अशोक जी डूंगरवाल, निर्मल जी गोखरू, सुशीला जी धाकड़ ,संगीता जी श्यामसुखा, प्रमिला जी डांगी , सुरभि व श्रेयांश टोडरवाल ने अपने विचार रखे । तेरापंथ महिला मंडल ने मंगलाचरण व गीत प्रस्तुत किया।
तप अभिनंदन के क्रम में 16 अठाई , 3 नौ ,1 ग्यारह , 1 पंद्रह, एक 39 की तपस्या , एक धर्मचक्र तप व एक कंठी तप के तपस्वियों का अभिनंदन किया गया। आभार ज्ञापन सुनील जी धाकड़ ने किया।बकार्यक्रम का सफल संचालन श्रीमती केसर राहुल धाकड़ ने किया।
मुनिश्री प्रतीक कुमार जी का महासर्वतोभद्र प्रतिमा तप में साधना के गौरव-बिंदु
– 27 वर्षों की अल्पायु में तप की संपन्नता।
– तीसरे वर्षीतप के साथ तप की संपन्नता।
– आगम स्वाध्याय के साथ तप की संपन्नता।
– जप अनुष्ठान के साथ तप की संपन्नता।
– मौन साधना के साथ तप की संपन्नता।
– ध्यान साधना के साथ तप की संपन्नता।
– पूर्ण स्वावलंबन के साथ तप की संपन्नता।
महासर्वतोभद्र प्रतिमा तप क्या है ?
अंतकृतदाशंग आगम में इस दुष्कर तप का वर्णन मिलता है। इस तप में उपवास 196 दिन, पारणे 49 दिन, इस प्रकार कुल 245 दिन का कालमान होता है। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ में यह तप दूसरी बार हुआ है। 27 वर्षीय मुनिश्री प्रतीक कुमार जी ने इस तप की साधना कर सबसे कम उम्र में इसे संपन्न करने वाले संत होने का नव इतिहास बनाया है।