विजयनगर। आचार्य भिक्षु के 220 में चारमोत्सव के अवसर पर विजय नगर तेरापंथ सभा भवन में विराजित मुनि श्री रश्मि कुमार जी ने कहा आचार्य भिक्षु दृढ़ संकल्प के धनी थे और सत्य के प्रति उनकी आस्था अडिग थी। आचार्य भिक्षु की कथा सहज- निश्चल कर्म योगी की संघर्षमयी अपराजेय की कथा है। जिसका पथ बीहड़ था काँटों से भरा था, लेकिन जिनके पाव फौलादी थे, हाथों में कर्तव्य शक्ति थी, मस्तिक में सरस गंगा प्रवाहित थी, और उनके विशाल ह्रदय में प्राणी मात्र के लिए कल्याण की भावना थी। उनकी अचार निष्ठा के समक्ष उनके कट्टर विरोधी भी नतमस्तक होते थे। आचार्य भिक्षु उस व्यक्तित्व का नाम है जिनमे भय नहीं था जिनमे क्षोभ नहीं था, चित की चंचलता नहीं थी।
आचार्य भिक्षु को अपार कष्टों का सामना करना पड़ा किंतु वो तमाम कष्टों को सहते और बाधाओ को पार करते हुए अपने निर्दिष्ट पथ पर आगे बढ़ते रहे। उनकी आत्मा पवित्र व निर्मल थी वे सत्य के पालन में सदैव तत्पर रहते थे। सत्य को उन्होंने निर्भक हो कर कहा। इसका एक अत्यंत ओजस्वी प्रमाण उनके जीवन में मिलता है। उन्होंने क्रांति की सत्य के लिए, जीवन मूल्यों के लिए।
उनके हथियार थे निडरता, क्षमा,मैत्री, अहिंसा और सहनशीलता। उनकी विजय थी ईर्ष्या पर, द्वेष पर, मानवीय दुर्बलताओ पर और उसी सत्य क्रांति का प्रतिफल है -तेरापंथ धर्मसंघ। मुनि प्रियांशु ने भी अपने महनीय विचार व्यक्त किए।
सभा से सुवालालजी चावत , परिषद से सहमंत्री कमलेश चोपड़ा, महिला मंडल उपाध्यक्ष मंजु गादियाँ, अंजु सेठिया, पिस्ता बाई श्रीश्रीमाल , सुमन कोठारी ने आज के अवसर पर अपने भाव सुमन आचार्य भिक्षु के प्रति समर्पित किए। परिषद पूर्व अध्यक्ष अभिषेक कावड़िया ने रात्रिकालीन विराट धम्म जागरण की जानकारी दी।
सत्य धर्म के महापथिक थे आचार्य भिक्षु- मुनि रश्मि
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