मुंबई। युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी सुशिष्या साध्वी श्री निर्वाण श्री जी ठाणा -६ के सान्निध्य में पर्युषण महापर्व की आराधना पूर्ण भव्यता के साथ चल रही है। भिक्षु समवसरण के विशाल परिसर में हजारों भाई-बहन प्रवचन श्रवण का आनंद ले रहे हैं।तीर्थंकर चरित्र के अंतर्गत साध्वी श्री निर्वाणश्री जी ने कहा- “भगवान महावीर बचपन की अठखेलियां करते हुए युवा मन की दहलीज पर पहुंचते हैं। विवाह,पुत्री व माता-पिता के वियोग के पश्चात लोकांतिक देवों से प्रतिबुद्ध होकर भगवान स्वयं स्वीकार करते हैं। उसी के साथ उपसर्गों की आंधी महावीर की साधना की आंच को तीव्र कर रही है।”
साधवी डॉ. योगक्षेम प्रभा जी ने अपने वक्तव्य में जप की उपादेयता प्रतिपादित करते हुए पुरुषादानिय अर्हत पार्श्व की विलक्षण समता की रोचक कहानी पूर्व जन्म की घटनाओं के आलोक में प्रकट की।
साध्वी लावण्य प्रभा जी ने संस्मरण सुनाते हुए “जप की महिमा अपरंपार” गीत को स्वर दिया। साध्वी मधुर प्रभा जी ने जप दिवस की महत्ता प्रतिपादित की। मंच संचालन दहिसर तेयुप के महेंद्र मादरेचा ने किया। दहिसर महिला मंडल ने सुंदर ढंग से मंगलाचरण किया। रविवार रात्रि कार्यक्रम में “सुपात्र दान की महिमा ” विषय पर प्रभावी प्रवचन हुआ।शांतिलाल जी दूगड़ ने गीत का संगान किया।
सुपात्र दान की महिमा अपार है, मंत्र जप से भव संचित पाप का नाश होता है- साध्वी निर्वाणश्री जी
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