मुंबई। अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमणजी की विदुषी शिष्या शासन श्री साध्वी सोमलता जी ने अणुव्रत पर चर्चा करते हुए कहा – गणाधिपति गुरुदेव तुलसी ने भारत आजादी के बाद असली आजादी अपनाओ का बिगुल बजाया। असली आजादी का अर्थ है- नैतिक मूल्यों का पुनर्जागरण और चरित्र विकास का शंखनाद। उसका प्रायोगिक स्वरूप है- अणुव्रत आन्दोलन। इस आन्दोलन की गूंज ने आबाल वृद्ध के मानस को झकझोरा। फलत: गहरी निद्रा में सोया इन्सान करवट बदल कर जागा और गतिशील हुआ मानवता की डगर पर । आपने जनमानस की चेतना को झकझोरते हुए कहा – नैतिक मूल्यों की सुरक्षा के लिए प्रत्येक व्यक्ति कोअणुव्रती बनकर उनके नियमों का जागरूकता पूर्वक पालन करना चाहिए ।
श्रमण भगवान महावीर के त्रिपृष्ट वासुदेव का सजीव चित्रण प्रस्तुत करते हुए प्रसंग वंश कहा- प्रभु से मिलने के लिए मौन करो और दुनिया से बात करने के लिए फोन करो । जब तक आत्मा को मित्र नहीं बनाओगे आत्मा की आवाज को नहीं सुन पाओगे । कन्यामंडल ने मधुर स्वरों में महावीर स्तुति की। साध्वी जागृतप्रभा जी ने “मनुपुत्र हो मनुजता के गीत गुनगुनाओ” गीत गाया। साध्वी श्री शकुन्तला कुमारी जी ने कहा सहन करो, कहा सफल बनो – इस सूत्र को आत्मसात करो। साध्वी संचित यशा जी ने अपने विचार प्रस्तुत किए। साधी रक्षितयशा जी ने संचालन किया । पर्युषण कालीन सभी कार्यक्रमों में आचार्य महाप्रज्ञ विद्यानिधि फाउंडेशन, श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा,तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल, अणुव्रत क्षेत्रीय संयोजक दक्षिण मुंबई आदि का सहयोग प्राप्त हो रहा है । यह जानकारी अशोक बरलोटा ने दी ।
समाचार प्रदाता : नितेश धाकड़
दक्षिण मुंबई: अणुव्रत नैतिक मूल्यों के जागरण का शंखनाद अणुव्रत, चरित्र विकास का शंखनादः शासन श्री साध्वी श्री सोमलताजी
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