भायंदर – शासन श्री साध्वी श्री विद्यावतीजी ‘द्वितीय’ के सान्निध्य में पर्युषण पर्व के अंतर्गत वाणी संयम दिवस मनाया गया । तेरापंथ किशोर मंडल के मंगलाचरण से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। साध्वी प्रेरणाश्रीजी ने कहा- वाणी से व्यक्ति के चरित्र की पहचान होती है। अनावश्यक न बोलना भी वाणी संयम का लक्षण है। वक्तव्य के पश्चात् मधुर गीत का संगान भी किया।
साध्वी प्रियंवदाजी ने वाणी संयम की महत्ता पर प्रकाश डाला। साध्वी श्री विद्याचतीजी ने पर्युषण पर उद्बोधन देते हुए कहा- वाणी संयम यानी कम बोलें। अनावश्यक न बोलें। मौन साधना मन की शांति का प्रभावक उपाय है। मौन अशांत मन को विश्राम देता है। साध्वी श्रीजी ने भगवान महावीर के पूर्व भवों में से अठारह भवों तक का सुंदर विवेचन किया। पर्युषण पर्व के उपलक्ष में श्रावक श्राविकाओं ने विशेष त्याग प्रत्याख्यान किये एवं तेले के तप में काफी भाई बहिनों ने योगदान दिया।
सायंकाल के कार्यक्रम में साध्वियों ने अपने अपने जीवन के प्रेरणादायी संस्मरण सुनाकर सबको भाव विभोर कर दिया। कार्यक्रम का संचालन तेरापंथ किशोर मंडल का संयोजक मानव बरलोटा ने किया।
समाचार- अभातेयुप ज़ैन तेरापंथ न्यूज से पारस कच्छारा भायंदर
भायंदर: मधुर बोलना भी एक कला है – साध्वी श्री विद्यावतीजी ‘द्वितीय’
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