वसई। वसई मे पर्युषण के चतुर्थ दिन वाणी संयम दिवस पर कार्यक्रम की शुरुआत साध्वी प्रतिकप्रभा जी ने आगमवाणी का वाचन कर की। साध्वी विनय प्रभाजी में अरिष्ठनेमी के तीसरे भाव के बारे में समझाया जिसमें चित्रगती के भव की व्याख्या की। साध्वी सरलप्रभा जी ने आज के दिवस वाणी संयम दिवस पर प्रकाश डाला तथा बताया की वाणी का अर्थ है भाषात्मक प्रयोग और हमें बिना पूछे नहीं बोलना, अनावश्यक नहीं बोलना, बिना बुलाए नहीं बोलना इन बातों का ध्यान रखना चाहिए तथा हमारी वाणी में मधुरता , सत्यता एवं सम्यक्त्व होना चाहिए।
प्रज्ञा श्रीजी ने “भिक्षु स्वामी भारी मर्यादा बांधी” गीत का संगान किया, तत्पश्चात हाजरी का वाचन किया। साध्वी श्री जी ने बताया कि हमें किसी के भी बारे में बुरा नहीं सोचना चाहिए। इससे हमारा यह भव और आगे का भव भी अच्छा हो जाता है। हमे स्वयं अपना आत्मवलोकन करना चाहिए। साध्वीश्री जी ने महावीर स्वामी के भव त्रिपृष्ठ वासुदेव के बारे में विस्तार से बताया तथा “मानव तू है राही” गीतिका के माध्यम से जनसभा को प्रेरणा प्रदान की।
मंगलाचरण नालासोपारा कन्या मंडल के द्वारा किया गया। सैकड़ों धर्मानुरागी भाइयों बहनों की उपस्थिति में पर्युषण महापर्व के चौथे दिन वाणी संयम दिवस पर अच्छी धर्म आराधना देखने को मिली।
वसई में पर्युषण के चौथे दिन वाणी संयम दिवस का आयोजन
Leave a comment
Leave a comment