- चातुर्मास के पहले दिन खाद्य संयम दिवस का आयोजन
भायंदर। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की विदुषी शिष्या शासन श्री साध्वी श्री विद्यावतीजी ‘द्वितीय’ ठाणा 5 के सान्निध्य में पर्वाधिराज पर्युषण पर्व का आगाज साध्वी वृंद द्वारा उच्चारित नमस्कार महामंत्र के साथ किया गया। तेरापंथ महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत करने के बाद साध्वी ऋद्धियशाजी ने सुंदर कविता प्रस्तुत की । साहवी प्रेरणाश्रीजी ने तपस्या की प्रेरणास्वरूप गीत प्रस्तुत किया। साध्वी मृदुयशाजी ने खाद्य संयम दिवस पर विचार रखे।
साध्वी प्रियंवदाजी ने कहा- यदि आपको शांत और सुंदर विचारों वाला मन चाहिए तो भोजन की सात्विकता और मात्रा दोनों पर ध्यान देना जरूरी है। खान पान का संयम जीवन को स्वस्थ एवं सुखी बनाता है।
साध्वी श्री विद्यावतीजी ने सर्वप्रथम भगवान महावीर के सताईस भवों का विश्लेषण प्रारंभ किया’ मार्मिक रूप से वर्णन करने के बाद साध्वी श्री जी ने कहा जैन समाज का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पर्व पर्युषण है। यह पर्व पुरुषार्थ, अहिंसा एवं समता का पर्व है। त्याग तपस्या के द्वारा आत्म विशुद्धि करके पवित्र होना एवं परस्पर मैत्री भाव बढाना इस पर्व का मुख्य उद्देश्य है। इस पर्व की सम्यक् आराधना करने वाला आराधक पद का अधिकारी, बन जाता है।
तेरापंथ महिला मंडल की संयोजिका श्रीमती ममता डांगी ने अपने विचार रखे एवं तपस्विनी बहिन श्रीमती मीना बडाला के ग्यारह दिनों की तपस्या के प्रति शुभकामना अभिव्यक्त की। श्रीमती प्रेमलता रांका एवं श्रीमती रंजना बडाला ने विचार व्यक्त किये। साध्वीश्रीजी ने तपस्वियों को आगे के व्याग प्रत्यारव्यान करवाये। पर्युषण पर्व में करणीय आराधना के पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए साध्वी श्रीजी ने संकल्प दिलवाये। कार्यक्रम का संचालन साध्वी प्रियंवदाजी ने एवं ममता डांगी ने किया।
पर्युषण की पूर्व संध्या में तेरापंथ महिला मंडल, ज्ञानशाला परिवार एवं ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं ने एक सुंदर प्रेरणास्पद कार्यक्रम पर्युषण की रेल’ को आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया। तेरापंथी सभा द्वारा सारे प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया समाचार पारस कच्छारा भायंदर