अमरनगर (जोधपुर)। नगर के तेरापंथ भवन अमर नगर में तेरापंथ समाज सरदारपुरा द्वारा ज्ञानशाला के वार्षिकोत्सव का आयोजन किया गया। शासन श्री साध्वी श्री सत्यवती जी आदि ठाणा-3 के सान्निध्य में आयोजित हुये इस कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी श्री द्वारा “महावीर प्रभु के चरणों में, श्रद्धा के कुसुम चढायें हम” गीत के संगान से हुआ। मंगलाचरण ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों द्वारा “अर्हं अर्हं की वंदना फले” गीत के संगान से हुआ। स्वागत उद्बोधन सरदारपुरा ज्ञानशाला के संयोजक श्री बी आर जैन द्वारा दिया गया। तत्पश्चात् सरदारपुरा ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों द्वारा प्रशिक्षिका श्रीमती समता सालेचा व श्रीमती ट्विंकल जी के निर्देशन में “अध्यात्म की ABCD” पर सुंदर प्रस्तुति दी गयी। तत्पश्चात् ज्ञानशाला विद्यार्थीयों द्वारा वंदना, सामायिक, प्रतिलेखना आदि किस प्रकार होती है, उसका विधि सहित दृश्य रूपांकन किया गया। ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं द्वारा “ज्ञानशाला का यह उपहार” गीत पर सुंदर प्रस्तुति दी गयी।
श्रीमती सारिका कोठारी के नेतृत्व में “धर्म की शरण” विषय पर नाटिका की प्रस्तुति दी गयी। तत्पश्चात् ABCD पर आध्यात्मिक कविता की प्रस्तुति दी गयी। बच्चों द्वारा तेरापंथ धर्मसंघ के 11 आचार्यों के रूपों का दृश्यांकन किया गया। प्रेक्षा पारख के निर्देशन में “अधूरे बचपन को संवारे ज्ञानशाला” गीत पर नृत्य की प्रस्तुति दी गयी। मुख्य प्रशिक्षिका श्रीमती अर्चना बुरड के निर्देशन में “ज्ञानशाला संस्कारों की शाला” विषय पर प्रस्तुति दी गयी, जिसके माध्यम से चार कषायों से होने वाले नुकसान, अठारह पाप, कर्म बंधन आदि विषयों को सुंदर रूप से सभी के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
ज्ञानशाला ज्ञानार्थियों व अभिभावकों को प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुये शासन श्री साध्वी श्री ने अपने वक्तव्य में फरमाया कि यह सभी अभिभावकों का कर्तव्य है कि बाल पीढी ज्ञानशाला से अवश्य जुडे। ज्ञानशाला संस्कार निर्माण की शाला है जो बच्चों में संस्कारों के बीजारोहण में सहयोगी है। ज्ञानशाला गुरूदेव तुलसी का बोया बीज है, जो फलवान हो संस्कार निर्माण में सतत योगभूत बन रहा है। साध्वी श्री ने स्वरचित कविता “बाल पीढी संस्कृति की शान है, बच्चे परिवार की मुस्कान है” कविता को प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तेरापंथी महासभा के पंचमंडल सदस्य दिलीप सा सिंघवी ने बाल पीढी को संबोधित करते हुये अपने विचार प्रस्तुत किये और ज्ञानशाला को हर संभव सहयोग देने का आश्वासन दिया। साथ ही अतिथि सम्मान की परंपरा का निर्वहन करते हुये तेरापंथी सभा, तेयुप, तेममं द्वारा साहित्य व पचरंगा से दिलीप सा का सम्मान किया गया।
वार्षिकोत्सव कार्यक्रम के प्रायोजक परिवार श्रीमती कमलादेवी व श्री मुकनचंद सा गांधी मेहता की स्मृति में मुनेश कुमार, दिनेश कुमार, विशाल कुमार, सुकुन कुमार गांधी मेहता परिवार का सम्मान जैन पचरंगी व साहित्य द्वारा किया गया। सभा मंत्री महावीर जी चौपडा द्वारा ज्ञानशाला को सहयोग देने वाले सहयोगकर्ताओं के नाम की घोषणा की व सभी का आभार व्यक्त किया गया। प्रायोजक परिवार द्वारा ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं व ज्ञानार्थियों को पारितोषिक देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर लगभग 100 ज्ञानार्थियों व 16 प्रशिक्षिकाओं के साथ महासभा उपाध्यक्ष विजयराज सा मेहता, मुख्य अतिथि महासभा पंचमंडल सदस्य दिलीप सा सिंघवी, तेरापंथी सभा अध्यक्ष सुरेश जी जीरावला, मंत्री महावीर सा चौपडा, पूर्व अध्यक्ष माणक सा तातेड, युवा गौरव मर्यादाकुमार जी कोठारी, तेयुप सरदारपुरा अध्यक्ष महावीर चौधरी, मंत्री निर्मल छल्लाणी, तेयुप उपाध्यक्ष कैलाश जैन, भूपेश तातेड, तेरापंथ महिला मंडल मंत्री श्रीमती चंद्रा जीरावला, उम्मेद मल सा सिंघवी, विनय सा तातेड, दिनेश जी कोठारी, जितेन्द्र सा गोगड, निरंजन सा तातेड, रतन सा चौपडा, विकास चौरडिया, विकास चौपडा आदि की उपस्थिति रही। कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन में श्रीमती कमला श्यामसुखा, श्रीमती संगीता तातेड, श्रीमती संगीता मेहता, श्रीमती अमिता जैन, श्रीमती संतोष मेहता, श्रीमती सविता तातेड, श्रीमती जयमाला तातेड, श्रीमती कल्पना छाजेड, श्रीमती मीना बडेरा, श्रीमती मंजू जैन, श्रीमती समता सालेचा, श्रीमती ट्विंकल तातेड आदि सभी प्रशिक्षिकाओं का विशेष श्रम रहा। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती अर्चना बुरड द्वारा किया गया।
संस्कार निर्माण का उपक्रम है ज्ञानशाला
इस अवसर पर तेयुप सरदारपुरा सदस्य निरंजन तातेड ने बताया कि देश भर में क्षेत्रीय तेरापंथी सभा के अंतर्गत ज्ञानशाला का संचालन होता है, जिसमें प्रशिक्षित प्रशिक्षकों द्वारा भावी पीढी के संस्कार निर्माण हेतु विविध उपक्रम चलाये जाते है। तेरापंथी सभा सरदारपुरा द्वारा भी बी आर जैन के संयोजन में विगत काफी वर्षों से ज्ञानशाला का संचालन किया जा रहा है। लगभग 110 ज्ञानार्थी का पंजीकरण है, जो नियमित रूप से ज्ञानशाला में आते है और ज्ञानार्जन कर रहे है। सरदारपुरा ज्ञानशाला में 16 प्रशिक्षिकायें अपनी नियमित सेवायें ज्ञानशाला को दे रही है। ज्ञानशाला ज्ञानार्थियों के लिये प्रतिवर्ष “शिशु संस्कार बोध परिक्षाओं” का आयोजन किया जाता है, जिसमें भी ज्ञानार्थी ज्ञानार्जन कर उत्साह से भाग लेते है, आज कक्षा 5 तक के परिक्षार्थियों के प्रथम, द्वित्तीय व तृत्तीय स्थान हासिल करने वाले बच्चों को भी पारितोषिक प्रदान किये गये।