गांधीनगर। तेरापंथ सभा भवन गांधीनगर में मुनि अर्हत कुमार ने कहा तेरापंथ एक प्राणवान धर्मसंघ है। एक गुरू के अनुशासन में रहने वाला यह विलक्षण धर्मसंघ है। विनय समर्पण अनुशासन का त्रिवेणी संगम है तेरापंथ आचार्य भिक्षु ने इसकी नींव में ही विजय, अनुशासन का आधार रखा। आज के पावन दिन ही तेरापंथ की स्थापना कर आर्य भिक्षु ने दुनिया को एक नया मार्ग दिखाया। इस प्रशस्त प्रकाशित मार्ग को दिखाकर उन्होंने क्रांति का नव शंखनाद किया। आर्य भिक्षु का दर्शन , सिद्धांत जितने रहस्मय नजर आते हैं उतने ही आंखों के समक्ष स्पष्ट भी है। आर्य भिक्षु ने तेरापंथ की तस्वीर में जो इन्द्र धनुषी रंग उकेरे हैं, जो रंग भरे है, वह युगों -युगों तक आश्चर्य से कम नहीं है। उनके उत्तरवर्ती आचार्या ने इस धर्मसंघ को अपने खून-पसीने से सींचकर इसे नवीनता प्रदान की। उन्होंने इसे सिर्फ गगन चुम्बी विकास ही नहीं दिया बल्कि रसे दुनिया के सामने नई आभा के साथ ज्योर्तिमय ज्योतिदीप के समान प्रस्तुत किया। मर्यादा इस धर्मसंघ की आन, बान और शान है। मर्यादा के आधारस्तंभ पर ही तेरापंथ रूपी महल का विशिष्ट निर्माण हुआ है। इस आधुनिक युग में भी ‘गुरु की आज्ञा मे रहते हुए एक विधान में संगठित रहना एक करिश्मे से कम नहीं है।
मुनि भरत कुमार जी ने कहा आचार्य भिक्षु तेरापंथ के प्राण है, शान है, भगवान है क्योंकि उन्ही के आर्शीवाद से आज भी एक गुरु और एक संविधान है। बाल संत जयदीप कुमार जी ने गीत का संगान किया।इस सभा पदाधिकारीगण एवं बड़ी संख्या में श्रावक समाज की उपस्थिति रही।
विनय समर्पण अनुशासन का त्रिवेणी संगम है तेरापंथ – मुनि अर्हत कुमार
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