- राजलदेसर प्रवास के दूसरे दिन भी श्रद्धालुओं ने ज्ञानगंगा में लगाई डुबकी
- अनित्य की अनुप्रेक्षा से मोह-ममता को करें दूर: महातपस्वी महाश्रमण
- राजलदेसरवासियों पर सुगुरु की आशीषवृष्टि के उपरान्त मेघों की वृष्टि से मौसम बना सुहाना
- अणुव्रत अनुशास्ता की मंगल सन्निधि में ‘जीवन विज्ञान शिक्षा सम्मेलन’ का हुआ आयोजन
01.07.2022, शुक्रवार, राजलदेसर, चूरू (राजस्थान) । लगभग आठ वर्षों से अधिक समय बाद राजलदेसरवासियों पर उनके आराध्य, जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी दो दिवसीय प्रवास हेतु राजलदेसर में पधारे और श्रद्धालुओं पर आशीषवृष्टि की तो देर रात होते-होते प्रकृति भी राजलदेसरवासियों पर मेहरबानी की और मेघों से आसमान से जल बरसाया तो तवे के समान जल रही रेतीली धरती को मानों तृप्ति प्राप्त हो गई। अपने आराध्य के आगमन से हर्षित राजलदेसरवासियों को मानों एक साथ बाह्य और आंतरिक दोनों ही प्रकार के तापों से राहत-सी मिल गई।
शुक्रवार को सूर्योदय से पूर्व ही नाहर भवन व आसपास की गलियां श्रद्धालुओं से भरी हुईं थीं। वर्षों बाद मिले राष्ट्रसंत के दर्शन और निकट उपासना का लाभ प्राप्त कर राजलदेसरवासी इसका पूर्ण लाभ उठाने को तत्पर नजर आ रहे थे। दर्शन, उपासना और सेवा का लाभ प्राप्त करने के उपरान्त निर्धारित समयानुसार वीर समवसरण में श्रद्धालुओं की उपस्थिति से अटापटा नजर आ रहा था। आचार्यश्री के मुखारविंद से नमस्कार महामंत्रोच्चार के द्वारा आज के कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को सहिष्णु बनने हेतु उत्प्रेरित किया।
तदुपरान्त आचार्यश्री ने अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि हमारे जीवन में आत्मा का अस्तित्व है। आत्मा चैतन्य और शरीर निर्जीव है, पुद्गल है। आत्मा और शरीर का योग जीवन है। शरीर अस्थाई और आत्मा स्थाई तत्त्व है। शरीर तो एक दिन नष्ट हो जाएगा, किन्तु यह आत्मा और आगे जाने वाली होती है। इसलिए आदमी को यह महसूस करना चाहिए कि मैं आत्मा हूं और मेरा शरीर नश्वर है।
आदमी को अपने शरीर के प्रति भी ज्यादा मोह-ममता रखने से बचने का प्रयास करना चाहिए। जहां ममत्व होता है, वहां दुःख भी हो सकता है। आदमी मोह के कारण ही दूसरों का धन भी हड़पने का प्रयास कर लेता है। अनेक प्रकार के पाप कर्मों में जा सकता है। शरीर में रहते हुए भी ज्यादा मोह-ममता से बचने का प्रयास करना चाहिए। साधक सोचता है कि यह शरीर एक दिन छूटना है तो क्यों न हम आत्मा के कल्याण का प्रयास करें और इस शरीर के प्रति ज्यादा ममत्व की भावना न रखें। पैसा, धन, मकान और शरीर के अनित्य होने की अनुप्रेक्षा करते हुए आदमी को अपनी आत्मा के कल्याण का प्रयास करना चाहिए। मोह-ममता की भावना जितनी कम होगी दुःखों का विनाश स्वतः होता चला जाएगा। संसार में रहते हुए भी निर्लेप रहने का प्रयास करना चाहिए। संयम और सादगीपूर्ण ढंग से जीवन जीते हुए आत्मा को सद्गति की दिशा में ले जाने का प्रयास करना चाहिए। इसप्रकार आदमी दुःख मुक्ति की दिशा में आगे बढ़ सकता है।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त श्रद्धालुओं की अभिव्यक्ति का क्रम भी रहा। संसारपक्ष में राजलदेसर से संबद्ध साध्वी मंगलप्रभाजी ने अपनी श्रद्धासिक्त अभिव्यक्ति दी। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के उपाध्यक्ष श्री नेमचंद बैद, अमृतवाणी के उपाध्यक्ष श्री ललित दूगड़, स्थानीय महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती प्रेमादेवी विनायकिया, श्री पन्नालाल बैद, नेपाल-बिहार सभा के अध्यक्ष श्री भैरुदान भूरा, श्री धर्मेश नाहर, श्री भरत बेगवानी, श्रीमती मंगला कुण्डलिया व श्री दिलीप दूगड़ ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेरापंथ युवक परिषद, डॉ. चेतना विनीत बैद, श्री गुलाब बांठिया, नाहर परिवार की महिलाएं, श्री प्रेम पाण्डेय, श्री अर्जुन विनायकिया, श्रीमती खुश्बू कुण्डलिया, श्री दीपक कुण्डलिया, श्रीमती सुषमा बैद व श्री कुलदीप बैद ने पृथक्-पृथक् गीत माध्यम से अपनी भावनाओं को श्रीचरणों में प्रस्तुति दी।
‘जीवन विज्ञान शिक्षा सम्मेलन’ में जुटे 100 से अधिक शिक्षक
वहीं अपराह्न लगभग तीन बजे अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में राजलदेसर अणुव्रत समिति के तत्त्वावधान में ‘जीवन विज्ञान शिक्षा सम्मेलन’ का आयोजन हुआ। एक दर्जन से अधिक विद्यालयों के लगभग सौ से अधिक शिक्षक आचार्यश्री महाश्रमणजी की पावन सन्निधि में उपस्थित हुए। अणुव्रत के पर्यवेक्षक मुनि श्री मननकुमारजी ने इस संदर्भ में अपनी विचाराभिव्यक्ति दी। तदुपरान्त स्थानीय अणुव्रत समिति के अध्यक्ष श्री शंकरलाल सोनी ने उपस्थित शिक्षकों व कार्यक्रम के विषय में अवगति प्रदान की। आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित शिक्षकों को पावन पाथेय प्रदान किया। कार्यक्रम का संचालन अणुव्रत समिति के उपाध्यक्ष श्री वीरेन्द्र लाटा व धन्यवाद ज्ञापन अणुव्रत समिति के मंत्री श्री भुवनेश्वर शर्मा ने किया।