चंडीगढ़: प्रदेश के पांच नगर निगमों और दो नगर पालिकाओं के चुनाव में राज्य चुनाव आयोग एक बड़ा प्रयोग करने जा रहा है। इस बार मेयर और पार्षद पद के उम्मीदवार के साथ एक ऐसा प्रत्याशी भी चुनाव लड़ेगा, जो किसी को दिखाई नहीं देगा, लेकिन बाकी उम्मीदवारों की हार जीत में उसकी अहम भूमिका होगी। इस छिपे प्रत्याशी का नाम नोटा है।
नोटा का मतलब यह है कि चुनाव में जितने भी उम्मीदवार खड़े हैं, उनमें से कोई भी जनता को पसंद नहीं है। ऐसा होने पर इलेक्ट्रिानिक वोटिंग मशीन में मतदाता को नोटा का बटन दबाना होगा। सुप्रीम कोर्ट की हिदायतों के बाद हरियाणा सरकार ने हालांकि नगर निगम और पंचायत के चुनाव में 2016 में नोटा को लागू कर दिया था, लेकिन पांच नगर निगमों और दो नगर पालिकाओं के चुनाव में अलग ही व्यवस्था की गई है।
राज्य चुनाव आयुक्त डॉ. दलीप सिंह के अनुसार दो इलेक्ट्रिानिक वोटिंग मशीन होंगी। एक मशीन पर मेयर के प्रत्याशी को वोट दी जा सकेगी और दूसरे पर पार्षद पद के उम्मीदवार को वोट डलेगी। इन मशीनों में नोटा का बटन भी होगा। यदि नोटा को मिलने वाला वोट किसी भी प्रत्याशी से अधिक होगा तो संबंधित वार्ड अथवा शहर के पूरे इलेक्शन को रद कर दिया जाएगा और नए सिरे से वोटिंग होगी। दूसरी बार होने वाले चुनाव में पहले लड़ चुके उम्मीदवार इलेक्शन लडऩे के लिए अपात्र घोषित हो जाएंगे।
डॉ. दलीप सिंह के अनुसार राज्य चुनाव आयोग ने अपने 2016 के ही आदेश को संशोधित कर नए सिरे से लागू किया है। मेयर पद के उम्मीदवार के लिए चुनाव खर्च की सीमा 20 लाख रुपये, पार्षद के लिए पांच लाख और नगरपालिका के लिए सदस्य के लिए दो लाख रुपये रखी गई है। चुनाव जीतने और हारने वाले प्रत्येक उम्मीदवार को 30 दिन के भीतर अपना खर्च का ब्योरा उपलब्ध कराना होगा। ऐसा नहीं करने वाले को भविष्य में चुनाव लड़ने के लिए अपात्र घोषित कर दिया जाएगा।
देश में पहली बार नोटा होगा काल्पनिक उम्मीदवार
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