म्यूनिख: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि चीन द्वारा सीमा समझौतों का उल्लंघन करने के बाद उसके साथ भारत के संबंध बहुत कठिन दौर से गुजर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सीमा की स्थिति दोनों देशों के संबंधों की स्थिति का निर्धारण करेगी। विदेश मंत्री यहां म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (एमएससी) 2022 परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत को चीन के साथ एक समस्या है। समस्या यह है कि 1975 से 45 साल तक सीमा पर शांति रही, स्थिर सीमा प्रबंधन रहा, कोई सैनिक हताहत नहीं हुआ। अब यह बदल गया है क्योंकि हमने चीन के साथ सीमा या वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य बलों की तैनाती नहीं करने लिए समझौते किए थे, लेकिन चीन ने उन समझौतों का उल्लंघन किया है।
पैंगोंग झील क्षेत्रों में 15 जून, 2020 को हिंसक झड़प के बाद भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध शुरू हो गया था और दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे अपने सैनिकों और हथियारों की तैनाती बढ़ा दी थी। जयशंकर ने एमएससी में हिंद-प्रशांत पर एक परिचर्चा में भाग लिया, जिसका उद्देश्य यूक्रेन को लेकर नाटो देशों और रूस के बीच बढ़ते तनाव पर व्यापक विचार-विमर्श करना है। इससे पहले, एमएससी में शामिल होने के लिए शुक्रवार को जर्मनी पहुंचे जयशंकर ने जर्मनी, ईरान, सऊदी अरब, स्लोवेनिया, जार्जिया और आस्टि्रया के विदेश मंत्रियों से मुलाकात की और द्विपक्षीय एवं विभिन्न वैश्विक महत्व के मुद्दों पर बातचीत की।
जर्मनी की विदेश मंत्री एनालिना बेयरबाक के साथ उनकी हिंद-प्रशांत, यूक्रेन में हो रहे घटनाक्रम तथा अफगानिस्तान में स्थिति पर विस्तार से चर्चा हुई। जयशंकर ने ईरान के अपने समकक्ष एच अमिराब्दुल्लहियान से भी मुलाकात की और द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग, अफगानिस्तान और संयुक्त व्यापक कार्रवाई योजना (जेसीपीओए) पर सार्थक चर्चा की। जेसीपीओए को ईरान परमाणु समझौते के तौर पर जाना जाता है। जयशंकर ने सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान अल सऊद से भी मुलाकात की और वे सामरिक साझेदारी परिषद की बैठक के लिए तैयारियां तेज करने पर राजी हुए।