- आचार्य महाप्रज्ञ प्रकाण्ड विद्वान थे- साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञा
मैसुर। चातुर्मास सम्पन्नता के पश्चात् गुरु निर्देशानुसार तिरुमन्नमलै की और यात्रायित साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञा जी नंजनगुड होती हुई गुण्डलपेट पहुंची। आयोजित धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा आज गुंडलपेट वासियों को तेरापंथ के दशमाचार्य श्री महाप्रज्ञ जी की पुण्यतिथि मनाने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। संघ के साधु-साध्विया इस दिन आराध्य की स्मृति में तप की यथाशक्ति आराधना करते हैं। मात्र 10 वर्ष की उम्र में उन्होंने संन्यास ग्रहण किया और अपने दीक्षा गुरु, शिक्षा गुरु के प्रति समर्पण और पुण्योदय से जागृत प्रज्ञा के द्वारा विश्व वंदनीय बन गए | उनकी पौरुषमयी साधना को सभी प्रणाम करते हैं।
साध्वी श्री ने समण श्रेणी में अपनी की गई अपनी विदेश यात्राओं के संस्मरण सुनाते हुए कहा- आचार्य महाप्रज्ञ के साहित्य के पाठकों ने कहा कि वे मात्र संत ही नहीं एक पहुंचे हुए दार्शनिक और वैज्ञानिक भी थे। हम सौभाग्यशाली हैं जिन्हें उनके चरणों में साधना करने और जीवन के मूल्यवान सूत्रों को सीखने का अवसर प्राप्त हुआ । अपनी ज्ञान वैभव से उन्होंने जिनशासन और भेक्षव शासन को समृद्ध बनाया है। युगों युगों तक उनकी जन-कल्याण की चेतना को भुलाया नहीं जा सकता ।
आज उपस्थित श्रावक समाज को भी मैं यहीं कहना चाहूंगी यदि संतान संन्यास के पथ पर अग्रसर हो अभिभावक उस उनकी भावनाओं को पुष्ट करे, विरोध न करे । वरिष्ट श्रावक हस्तीमल जी नंगावत ने साध्वीश्री का स्वागत किया। मैसुर तेयुप अध्यक्ष विक्रम पितलिया ने विचार व्यक्त करते हुए साध्वी श्री के प्रति आभार जताया।
साध्वी सुदर्शनप्रभा, साध्वी सिद्धियशा, साध्वी राजुलप्रभा, साध्वी चैतन्यप्रभा एवं साध्वी शौर्यप्रभा ने गीत का संगान किया। साध्वी राजुलप्रभा जी ने कहा- साध्वी मंगलप्रज्ञा जी ने जिनशासन की सेवा और प्रचार-प्रसार में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। तेरापंथ संघ में विशेष पहचान बनाई है।
इस अवसर पर अखिल भारतीय तेयुप के सदस्य श्री ललित मेहर श्री विकास पितलिया, प्रदीप चौहान, चेतन दक सहित नंजनगुड एवं गुडलपेट के श्रावक-श्राविकाओं ने विहार सेवा की। तीन दिन प्रवास के पश्चात साध्वी श्री ऊटी की ओर विहार करेगी।