नई दिल्ली:एक तरफ देश में कोरोना के मामले घट रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ नए वेरिएंट ओमीक्रोन का खतरा सिर पर मंडराने लगा है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना से सावधानी जरूरी है, क्योंकि बीमारी पहले से देश में मौजूद है। ओमीक्रोन को लेकर ज्यादा भयभीत होने की वजह नहीं है क्योंकि इसके खतरे की जद में देश की करीब 20 फीसदी वह आबादी होगी, जिसमें अब तक कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधकता नहीं आई है। देश में हुए विभिन्न सिरो सर्वे यह संकेत देते हैं कि करीब 80 फीसदी या इससे अधिक आबादी में कोरोना एंटीबाडीज मौजूद हैं। मतलब अल्फा और डेल्टा से संक्रमित हो चुकी आबादी को ओमीक्रोन का खतरा नहीं होना चाहिए।
सेंटर फार सेल्युलर एंड मालीक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) के वरिष्ठ वैज्ञानिक और पूर्व निदेशक डॉ. राकेश मिश्रा ने कहा कि ओमीक्रोन की संक्रामकता को लेकर अभी पूरे तथ्यों का आना बाकी है। दक्षिण अफ्रीका में यह तेजी से फैला है लेकिन उसकी वजह स्पष्ट नहीं है। क्या वहां ऐसे कार्यक्रम हुए जिनमें भीड़ ज्यादा थी और लोग सावधानी नहीं बरती गई या फिर तमाम सावधानियों के बावजूद यह तेजी से फैला ? जब तक यह पता नहीं चलता तब तक इसकी संक्रामकता का सही आकलन नहीं हो सकता। इसी प्रकार अब तक की सूचनाओं में यह भी स्पष्ट है कि संक्रमण भले ही इसका तेज हो लेकिन भयावह बीमारी के मामले कम हैं।
वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के निदेशक डा.जुगल किशोर ने कहा कि देश की करीब 20 फीसदी आबादी नए वेरिएंट के हिसाब से ज्यादा संवेदनशील हो सकती है। उन्होंने कहा कि पहली लहर में अल्फा वेरिएंट का संक्रमण था। लेकिन जब दूसरी लहर में डेल्टा का संक्रमण हुआ तो उन लोगों को संक्रमण नहीं हुआ जो अल्फा की चपेट में आ चुके थे। सिर्फ कुछ मामले अपवाद हो सकते हैं। इसी प्रकार यदि ओमीक्रोन का संक्रमण होता है तो अल्फा और डेल्टा से संक्रमित हो चुकी आबादी को खतरा नहीं होना चाहिए।