श्रीहरिकोटा: श्रीहरिकोटा के सतीश धवन लॉन्चिंग पैड-2 से रविवार रात 2.51 बजे चंद्रयान-2 लॉन्च किया जाना था, पर तकनीकी गड़बड़ी के चलते तय समय से 56 मिनट 24 सेकंड पहले काउंटडाउन रोक दिया गया। अब उसकी वजह सामने आई है। दरअसल, लॉन्चिंग पर नजर रखने वाली टीम को कंट्रोल रूम से रॉकेट में तापमान और प्रेशर असामान्य दिखा था। लॉन्च व्हीकल, सेंटर, प्रोजेक्ट और मिशन से जुड़े सभी वैज्ञानिकों ने फौरन मीटिंग कर काउंटडाउन रोकने का फैसला किया।
इसरो के इस फैसले की अब तारीफ हो रही है। वैज्ञानिकों ने इस बात की भी बधाई दी कि समय रहते गड़बड़ी पकड़ ली और लॉन्चिंग टाल दी। अब इसरो के वैज्ञानिक चंद्रयान को इसी महीने लॉन्च करने की तैयारियों में जुटे हैं। हालांकि, अभी लॉन्चिंग की नई तारीख का ऐलान नहीं हुआा है।
1.55 बजे दो बार घोषणा हुई- होल्ड द काउंटडाउन
दरअसल, रविवार सुबह 6:51 बजे काउंटडाउन शुरू हुआ था। इसके बाद रॉकेट के हर हिस्से पर कंट्रोल रूम से नजर थी। स्पेस सेंटर में ऑल वर्किंग पैरामीटर्स नॉर्मल, सेंसर रिस्पॉन्ड नॉर्मल, प्रोसेस स्टार्ट नॉर्मल, फिलिंग स्टार्ट, फिलिंग प्रोसेस कम्प्लीट, टेम्परेचर नॉर्मल, प्रेशर नॉर्मल जैसी एनाउंसमेंट हो रही थीं। बैकग्राउंड में धीमी आवाज में कर्नाटक संगीत जारी था। बाहुबली रॉकेट के क्रायोजेनिक स्टेज में लिफ्ट ऑफ से 5 घंटे पहले रात करीब पौने 10 बजे लिक्विड ऑक्सीजन भरनी शुरू हुई। प्रक्रिया दो घंटे में पूरी हुई। रात डेढ़ बजे तक लिक्विड हाइड्रोजन भरी गई। इसी बीच, रॉकेट से कई किलोमीटर दूर कंट्रोल रूम में तापमान और प्रेशर असामान्य दिखा। लॉन्च व्हीकल, सेंटर, प्रोजेक्ट और मिशन से जुड़े सभी वैज्ञानिकों ने तुरंत मीटिंग कर काउंटडाउन रोकने का फैसला किया। 1.55 बजे दो बार घोषणा हुई- होल्ड द काउंटडाउन। इसके बाद ‘टी 56.24’ पर काउंटडाउन रुक गया। अगले 20-25 मिनट में मामले की गंभीरता समझने के बाद लॉन्चिंग टाल दी गई।
जरा सी लापरवाही होती तो रॉकेट में लॉन्च पैड पर ही हो सकता था विस्फोट
- इसरो ने खुशी जताई है कि समय रहते समस्या पकड़ी गई। रॉकेट में लिक्विड ऑक्सीजन और हाइड्रोजन भरी जा चुकी थीं। थोड़ी भी लापरवाही से रॉकेट में लॉन्च पैड पर ही या उड़ान भरने के बाद विस्फोट हो सकता था। इससे वर्षों की मेहनत और एक हजार करोड़ रुपए की लागत से बना चंद्रयान-2 नष्ट हो जाता।
- एक वैज्ञानिक ने कहा कि असामान्य स्थिति पर लॉन्चिंग टालना अच्छा फैसला है। इसरो में 99.9% कुछ नहीं होता। यहां 100% पक्का होने पर ही लॉन्चिंग की जाती है।
काउंटडाउन रुकने के बाद 12 घंटे चली बैठक
काउंटडाउन शुरू होने से पहले स्पेस सेंटर के कंट्रोल रूम में गए 50 से ज्यादा वैज्ञानिक करीब 50 घंटे बाद बाहर निकले। लॉन्चिंग टलने के बाद रविवार रात 2 बजे शुरू हुई इसरो के विभाग प्रमुखों की मीटिंग भी करीब 12 घंटे बाद सोमवार दोपहर 2 बजे खत्म हुई। वैज्ञानिकों ने 12 जून को चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग की तारीख की घोषणा से लेकर काउंटडाउन रोकने तक के एक-एक सेकंड के डेटा की जांच की है। रॉकेट में भरी गई लिक्विड हाइड्रोजन और ऑक्सीजन भी सफलतापूर्वक निकाल ली गई है।