लाहौर: मुंबई हमले के मुख्य आरोपी और जमात-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद और उसके तीन सहयोगियों को एंटी-टैररिज्म कोर्ट से गिरफ्तारी से पहले जमानत मिल गई। इसमें हाफिज मसूद, अमीर हमजा और मलिक जफर का नाम भी शामिल। पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक सभी आरोपियों को 31 अगस्त तक 50,000 पाकिस्तानी रुपए के मुचलके पर अंतरिम जमानत मिली।
13 नेताओं के खिलाफ 23 एफआईआर दर्ज की- पंजाब पुलिस
सईद के वकील ने कहा- जमात-उद-दावा, भूमि के किसी टुकड़े का अवैध इस्तेमाल नहीं कर रहा। अधिकारियों ने बताया कि जमात-उद-दावा के अंतर्गत 300 मदरसे, स्कूल, अस्पताल, एक पब्लिशिंग हाउस और एंबुलेंस सर्विस शामिल। पंजाब पुलिस ने मार्च में बताया था कि सरकार ने इस संगठन के 160 मदरसे, 32 स्कूल, दो कॉलेज, चार हॉस्पिटल, 178 एंबुलेंस और 153 डिस्पेंसरी को सीज किया था।
रिपोर्ट के मुताबिक- सईद के संगठन जमात-उद-दावा को लश्कर-ए-तैयबा का मुख्य चेहरा माना जाता है। 2008 के मुंबई हमले का मास्टरमाइंड भी सईद ही है। अमेरिका ने सईद को वैश्विक आतंकी घोषित किया है। उस पर 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ईनाम भी रखा गया है। सिंध प्रांत में संचालित होने वाले 56 मदरसे भी पुलिस ने सीज कर दिए हैं।
अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बाद पाकिस्तान ने जमात-उद-दावा, लश्कर-ए-तैयबा और फलाह-ए-इंसानियत के खिलाफ जांच शुरू की। संगठन पर टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप तय किए। सईद ने इन आरोपों को चुनौती दी। इस पर लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) ने संघीय सरकार, पंजाब सरकार और काउंटर-टेररिज्म डिपार्टमेंट (सीटीडी) को नोटिस जारी किया।
एलएचसी की दो सदस्यीय पीठ ने पक्षों को दो सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए कहा। संघीय सरकार के वकील ने नोटिस पर आपत्ति भी जताई। खंडपीठ ने आपत्ति को खारिज किया। 30 जुलाई तक के लिए कार्यवाही स्थगित की गई। पंजाब पुलिस के काउंटर टैररिज्म डिपार्टमेंट ने 3 जुलाई को जमात-उद-दावा के 13 नेताओं के खिलाफ 23 एफआईआर दर्ज की थी।