कोलकाता:नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को प्रस्तावित 10 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान को बुधवार को अव्यवस्थित सोच बताया।
उन्होंने कहा कि इस फैसले के राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव गंभीर हो सकते हैं। सेन ने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने यूपीए सरकार के शासनकाल में हुई उच्च आर्थिक वृद्धि को कायम तो रखा लेकिन उसे नौकरियों के सृजन, गरीबी के उन्मूलन और सभी के लिए बेहतर स्वास्थ्य तथा शिक्षा में नहीं बदला जा सका।
सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के सरकार के कदम पर उन्होंने कहा, उच्च जाति वाले कम आय के लोगों के लिए आरक्षण एक अलग समस्या है। उन्होंने कहा, अगर सारी आबादी को आरक्षण के दायरे में लाया जाता है तो यह आरक्षण खत्म करना होगा। सेन ने कहा, अंततोगत्वा यह एक अव्यवस्थित सोच है। लेकिन इस अव्यवस्थित सोच के गंभीर राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव हो सकते हैं जो गंभीर सवाल खड़े करती है।