मुम्बई। आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या साध्वी श्री निर्वाण श्री जी ठाणा 6 के पावन सान्निध्य में नवरात्रि अनुष्ठान का क्रम अत्यंत हर्ष उल्लास के साथ जारी है। भाई बहन नवरात्री की साधना में विशेष रुप से तप जप आदि के प्रयोग कर कर रहें हैं। प्रातः 9:00 बजे से साध्वी श्री जी के पावन सान्निध्य में तेरापंथ भवन कांदिवली में अनुष्ठान का प्रारंभ होता है जिसमें सामूहिक सस्वर भक्तामर पाठ, केंद्र द्वारा निर्देशित “चंदेसु निम्मलयरा” एवं दशवैकालिक के प्रथम अध्याय का जप और इसीके साथ एक विशेष विषय पर विशेष वक्तव्य एवं प्रयोग करवाए जाते हैं। आज दिनांक 29 सितंबर को प्रातः अंतराय कर्म निवारण साधना के क्रम में साध्वी डॉ योगक्षेम प्रभाजी ने अंतराय कर्म के बंध के कारणों की चर्चा की और कैसे व्यक्ति अंतराय कर्म का क्षयपोशम कर सकता है,इस विषय पर विस्तृत जानकारी देते हुए जैन शास्त्र सम्मत कुछ मंत्रों की सारगर्भित प्रस्तुति दी।
साध्वी श्री निर्वाणश्री जी ने अपने प्रेरक उद्बोधन में “धम्मो मंगल मुक्कीठम्” गाथा का अर्थ विस्तार से समझाते हुए अंत में अंतर्यात्रा के प्रयोग के माध्यम से शक्ति जागरण करने का उपाय बताया।
कार्यक्रम अत्यंत सुव्यवस्थित एवं सुंदर ढंग से संचालित हो रहे हैं। भाई बहन अच्छी संख्या में इस अनुष्ठान का लाभ उठा रहे हैं।
कांदिवली में “अंतराय कर्म निवारण साधना”
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