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Reading: ज्ञान, सदाचार व सद्विचार से सुवासित हो जीवन : सिद्ध साधक आचार्यश्री महाश्रमण
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ज्ञान, सदाचार व सद्विचार से सुवासित हो जीवन : सिद्ध साधक आचार्यश्री महाश्रमण

Last updated: October 13, 2025 6:16 pm
Surabhi Saloni
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6 Min Read
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Highlights
  • अणुविभा द्वारा आयोजित हुआ एलिवेट कार्यक्रम
  • पंजाब के डीजीपी, गुजराज एनसीसी के जोनल हेड व एनसीबी के अधिकारी भी हुए सम्मिलित
  • शांतिदूत आचार्यश्री ने एनसीसी कैडेट्स को दी पावन प्रेरणा

कोबा, गांधीनगर (गुजरात)। कोबा में वर्ष 2025 का चतुर्मास सुसम्पन्न कर रहे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, युगप्रधान, अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में मानों आयोजनों की झड़ी-सी लगी हुई है। संघीय संस्थाओं द्वारा किए जा रहे आयोजनों से पूरा प्रेक्षा विश्व भारती परिसर मानों हमेशा गुलजार बना हुआ है। सोमवार को युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी द्वारा एलिवेट कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें गुजरात एनसीसी के सैंकड़ों-सैंकड़ों कैडेट्स उपस्थित थे। इसके साथ गुजरात एनसीबी के जोनल हेड, पंजाब के डीजीपी व एनसीसी के मेजर जनरल आदि भी विशेष रूप से उपस्थित से आचार्यश्री की मंगलवाणी का श्रवण करने के उपरान्त विशिष्ट महानुभावों ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी तथा आचार्यश्री से मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया।
सोमवार को ‘वीर भिक्षु समवसरण’ में आज श्रद्धालुओं के साथ-साथ बड़ी संख्या में गुजरात राज्य के एनसीसी कैडेट्स भी उपस्थित थे। प्रातःकालीन मुख्य मंगल प्रवचन के दौरान युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने आगमवाणी के माध्यम से पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि हमारी दुनिया में जीव भरे पड़े हैं। अनंत-अनंत जीव इस दुनिया में है। 84 लाख जीव यानियां भी हैं। इसमें मनुष्य के लेकर सभी प्रकार के जीव-जंतु आते हैं। इन सम्पूर्ण योनियों में मनुष्य जीवन विशिष्ट होता है। मनुष्य के पास जो विवेकचेतना, ज्ञानचेतना, साधना, शीलसम्पन्नता, श्रुतसम्पन्नता, संस्कारसम्पन्नता हो सकती है। ये सभी चेतनाएं जितनी मनुष्य में प्राप्त होती हैं, वे चेतनाएं अन्य पशुओं इत्यादि में नहीं हो सकती। मनुष्य साधना के द्वारा पराकाष्ठा तक पहुंच सकता है, कोई अन्य प्राणी नहीं पहुंच सकता। मनुष्य सर्वज्ञ, केवलज्ञानी बन सकता है, लेकिन कोई अन्य प्राणी अथवा पशु सर्वज्ञ नहीं बन सकते। इस दृष्टि से कहा जा सकता है कि मनुष्य एक विशिष्ट प्राणी होता है। मनुष्य में जो कार्य करने की, सोचने की, ज्ञान की क्षमता है, उसका आदमी क्या उपयोग करता है। मनुष्य यदि गलत रास्तों पर चला जाए, अपराधों में चला जाए, गलत कार्यों मंे चला जाए, गलत संस्कारों से युक्त हो जाए तो मनुष्य एक अधम प्राणी भी बन सकता है। एक मनुष्य कितनों का संहार कर सकता है। इस प्रकार के मनुष्य में उज्जवल पक्ष भी है तो अंधेर पक्ष भी है। मनुष्य में अहिंसा की भावना तो हिंसा की भावना भी हो सकती है। मनुष्य में सद्भावना हो सकती है तो मनुष्य में असद्भावना भी हो सकती है। अंधकार से प्रकाश की ओर, असत् से सत् की और मुझे मृत्यु से अमरत्व की ओर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। ईमानदारी, अहिंसा, नैतिकता की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को अपनी चेतना को अच्छी दिशा में ले जाने का प्रयास करना चाहिए।
जितना संभव हो सके, आदमी को सत्संस्कारों से जीवन को भावित बनाने का प्रयास करना चाहिए। कितने-कितने विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय आदि में कितने-कितने विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते हैं और गुरु उन्हें शिक्षाएं प्रदान करते हैं। विद्यार्थी और शिक्षकों के योग से ज्ञान का आदान-प्रदान का मानों क्रम चलता है। सरस्वती की साधना होती है। धर्म के लिए कहा गया है कि अहिंसा, संयम और तप धर्म है। बिना मतलब किसी छोटे प्राणी को भी दुःख नहीं देना चाहिए। जो बात, व्यवहार या कार्य स्वयं के लिए अच्छा नहीं होता, वैसा व्यवहार दूसरे के साथ भी नहीं हो, ऐसा प्रयास रखना चाहिए। जीवन में अहिंसा, संयम के संस्कार आएं। तपस्या के प्रति रुझान रहे, ऐसा प्रयास करना चाहिए। आदमी के जीवन में ज्ञान का प्रकाश रहे। सद्विचार और सदाचार जीवन में रहे। ज्ञान, सदाचार, सद्विचार से अपने मानव जीवन रूपी महल को भरने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी द्वारा एलिवेट के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में एनसीसी के कैडेट्स आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित थे। इस संदर्भ में अणुविभा के चीफ ट्रस्टी श्री तेजकरण सुराणा, श्रीमती सारिकाजी ने अपनी अभिव्यक्ति दी। एनसीसी कैडेट सुश्री महक जायसवाल, व श्री कृषक पांचाल ने अपने अनुभवों को अभिव्यक्ति दी। गुजरात एनसीबी के जोनल हेड श्री केतन बलिराम पाटिल, एनसीसी गुजरात के मेजर जनरल श्री रायसिंह गोदारा, पजांब के डीजीपी श्री जितेन्द्र जैन ने नशे से कैसे बचाव हो आदि के संदर्भ में उपस्थित कैडेट्स आदि को जानकारी दी। तदुपरान्त अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री ने लोगों को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि अनेक प्रकार के नशे होते हैं। नशीली चीजों का एक एडिक्शन हो सकता है। जो भी अहितकर है, उससे बचने का प्रयास करना चाहिए। नशे को दूर करने के लिए पहले पहले एलिवेट को समर्थन होना चाहिए। इस संदर्भ मंे आचार्यश्री ने एनसीसी कैडेट्स को सपोर्ट करने के सूत्र और नशामुक्ति से संदर्भित संकल्प कराया। उपस्थित कैडेट्स ने आचार्यश्री की वाणी का अनुसरण किया। इस उपक्रम का संचालन श्री अशोक कोठारी ने किया।

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