नई दिल्ली:ताइवान और चीन के बीच चल रहे तनाव को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि चीन के ताइवान पर हमला करने की स्थिति में अमेरिका ताइवान के बचाव में सामने आयेगा। सीएनएन टाउन हॉल में 21 अक्टूबर को आयोजित बैठक में उन्होंने यह बात कही है। बैठक के दौरान यह पूछे जाने पर कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है, तो क्या अमेरिका ताइवान की रक्षा करेगा? इसका जवाब देते हुए बाइडेन ने कहा कि हां, हम ऐसा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
जो बाइडेन के इस बयान का ताइवान में स्वागत किया गया है। ताइवान राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता जेवियर चांग ने एक बयान में कहा कि अमेरिकी सरकार ने वास्तविक कार्यों के माध्यम से ताइवान के लिए अपने ठोस समर्थन का प्रदर्शन किया है। बता दें कि चीन से खुद को बचाने के लिए ताइवान अंतरराष्ट्रीय गठबंधनों को मजबूत करने पर जोर दिया है। जो बाइडेन के बयान के बाद चीनी विदेश मंत्रालय ने अमेरिका से ताइवान पर सावधानी बरतने को कहा है।ताइवान ने कहा है कि चीन के पास अपने मूल हितों से जुड़े मुद्दों पर समझौता करने के लिए कोई जगह नहीं है।
चीन ने एक बार फिर ताइवान को लेकर गुस्सा है। इस गुस्से का कारण ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू का अगले सप्ताह यूरोप दौरे पर स्लोवाकिया जाना है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने ताइवान के विदेश मंत्री के यूरोप दौर को लेकर व्यापक असंतोष जताया है। वांग ने यूरोपीय देशों से द्विपक्षीय संबंधों की राजनीतिक नींव को कमजोर नहीं करने की अपील की है।
इसी महीने में ताइवान में घुसे 200 चीनी लड़ाकू विमान
बता दें कि अक्टूबर महीने में अब तक करीब 200 चीनी लड़ाकू विमान ताइवान के वायु रक्षा पहचान क्षेत्र में घुसे हैं। इताइवान के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि चीनी युद्धक विमानों द्वारा अक्टूबर में अब तक नौ बार घुसपैठ की गई है। ताइवान के रक्षा मंत्री रक्षा मंत्री चिउ कुओ-चेंग ने ताइवान में चीनी विमानों द्वारा घुसपैठ की रिकॉर्ड संख्या के बाद कहा कि चीन के साथ ताइपे का सैन्य तनाव 40 से अधिक वर्षों में सबसे खराब स्थिति में है।
ताइवान ने अमेरिका से लगाई लड़ाकू विमान देने की गुहार
चीन से बढ़ते खतरे के बीच ताइवान ने अमेरिका से जल्द से जल्द एफ-16 लड़ाकू विमानों की डिलीवरी करने की गुहार लगाई है। बता दें कि 2019 में ताइवान ने अमेरिका से F-16 फाइटर जेट खरीदने का सौदा किया था, जो करीब 10 साल में पूरा होगा। चीनी उकसावे और खतरे के मद्देनजर ताइवान को वास्तविक डिलीवरी के समय में तेजी लाने की। उम्मीद है