मुंबई: करीब 26 साल पहले 1992 स्टेट बैंक ऑफ इंडिया फ्रॉड मामले में एक स्पेशल कोर्ट ने पिछले हफ्ते 8 सीनियर बैंक अधिकारियों और हर्षद मेहता के भाई अश्विन मेहता को बरी कर दिया। यह आदेश SBI से जुड़े 105 करोड़ के स्कैम को लेकर दिया गया है। फैसला देते हुए जस्टिस शालिनी फंसालकर ने कहा है कि अभियोजन आरोपियों के खिलाफ ठोस तरीके से अपना केस पेश करने में फेल हो गया है। बॉम्बे हाई कोर्ट में स्पेशल कोर्ट में 1992 के इन मामलों की सुनवाई चल रही है।
मामले की जांच कर रही सीबीआई ने दावा किया था कि 24 संदिग्श ट्रांजैक्शन करके SBI कैप्स की मुंबई मेन ब्रांच के अकाउंट से शेयर खरीदे गए लेकिन फिजिकल सिक्यॉरिटी या बैंक रसीद नहीं जारी की गईं। CBI ने आरोप लगाया कि SBI की मुंबई मेन ब्रांच, SBI कैप्स और अश्विन मेहता ने कई अनियमितताएं बरतीं। अश्विन हर्षद के अटर्नी थे। हर्षद के खिलाफ केस 2001 में उनकी मौत के बाद बंद कर दिया गया था।
कोर्ट ने मानी बचाव पक्ष की दलील
कोर्ट ने आर सीतारमन, भूषण राउत, रवि कुमार, सुरेश बाबू, मुरलीधरन, अशोक अग्रवाल, जनार्दन बंदोपाध्याय, श्याम सुंदर गुप्ता और मेहता को बरी कर दिया है। CBI ने दावा किया था कि फंड ट्रांजैक्शन बिना आरोपी अधिकारियों के चुप्पी साधे नहीं हो सकता था। हालांकि, कोर्ट ने बचाव पक्ष की यह दलील मान ली कि सिक्यॉरिटी सेक्शन के अधिकारियों के खिलाफ केस साबित नहीं हो सका है।
26 साल बाद हर्षद मेहता के भाई और 8 अन्य को स्पेशल कोर्ट ने किया बरी
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