नई दिल्ली: भारत ने गुरुवार को पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गतिरोध के लिए एक बार फिर चीन को जिम्मेदार ठहराया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीनी सेना की ओर से एलएसी पर यथास्थिति को बदलने के लिए आक्रामक और एकतरफा कोशिशों के चलते ही सीमा पर शांति प्रभावित हुई है। चीन सीमा पर आक्रामक रवैया अपना रहा है। यही नहीं उसने सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती जारी रखी है। वह सीमाई इलाकों में बड़े पैमाने पर हथियारों को भी तैनात कर रहा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि चीन के इस रवैये को देखते हुए हमारे सशस्त्र बलों को इन क्षेत्रों में जवाबी तैनाती करनी पड़ी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत के सुरक्षा हित पूरी तरह से महफूज हैं। चीनी सैनिकों के उत्तेजक व्यवहार और उनकी ओर से द्विपक्षीय समझौतों के उल्लंघन के साथ सीमा पर यथास्थिति को बदलने के एकतरफा प्रयास की वजह से ही पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर अशांति बनी हुई है।
बागची ने कहा कि हमारी अपेक्षा है कि चीन पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ बाकी बचे मुद्दों के शीघ्र समाधान की दिशा में काम करेगा! हम चाहते हैं कि चीन पूरी तरह से द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकाल का पालन करे। दरअसल चीन के विदेश मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि सीमा पर दोनों देशों के बीच जारी तनाव के लिए नई दिल्ली की नीति जिम्मेदार है। चीनी विदेश मंत्रालय ने यह भी आरोप लगाया था कि भारत चीन के क्षेत्र में अतिक्रमण कर रहा है। भारत की प्रतिक्रिया चीन के इन्ही आरोपों के जवाब में आई है।
बागची ने कहा कि भारत पहले ही ऐसे बेतुके और बेबुनियाद बयानों को खारिज कर चुका है। चीन ने सीमावर्ती इलाकों में बड़ी संख्या में सैनिकों और हथियारों को तैनात करना जारी रखा है। चीनी की इसी हरकत के जवाब में हमारे सशस्त्र बलों को इन क्षेत्रों में उचित जवाबी तैनाती करनी पड़ी ताकि सुरक्षा हितों को महफूज रखा जा सके। बागची ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की उनके चीनी समकक्ष के साथ दुशांबे में हुई बातचीन का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि चीनी पक्ष पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ शेष मुद्दों के शीघ्र समाधान की दिशा में काम करेगा।
इससे पहले थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने बृहस्पतिवार को चीन की आक्रामकता के मसले पर कहा कि हम सीमा पर किसी भी दुस्साहस का सामना करने के लिए तैयार हैं। हमने पहले भी ऐसी चुनौतियों का बखूबी सामना किया है। भारतीय थल सेना और सशस्त्र बल खतरे की आशंकाओं का समय-समय पर आकलन करते रहते हैं। मौजूदा वक्त में भी भारतीय सेना खतरे का आकलन करने के साथ-साथ रणनीति की तैयारी में जुटी हुई है।