- क्षमापना पर शांतिदूत द्वारा चतुर्विध धर्मसंघ से खमतखामणा
- पूज्यप्रवर ने दी सब जीवों के प्रति रहे क्षमा रखने की प्रेरणा
12 सितम्बर 2021, रविवार, आदित्य विहार, तेरापंथ नगर, भीलवाड़ा, राजस्थान। करुणा के अवतार संत शिरोमणी परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी के मंगल सानिध्य में आज “क्षमापना दिवस” मनाया गया। जैन शासन का क्षमा का ये पर्व अपने आप में अनूठा है। वे उत्तम पुरुष होते हैं जो क्षमा को धारण करते है। इस दिन सभी वैर भाव भूलकर खमतखामणा द्वारा परस्पर मैत्री भावना भाते है। तेरापंथ नगर में चातुर्मास करा रहे पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी के सानिध्य में क्षमापना का नयनाभिराम दृश्य देखने को मिला। एक विशाल धर्मसंघ के अनुशास्ता होकर भी आचार्य श्री महाश्रमण द्वारा निश्चलता, सरलता द्वारा प्रत्येक साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका से खमतखामणा करने का दृश्य देखकर हर कोई अभिभूत था। साधु-साध्वियों ने भी परस्पर खमतखामणा किये।
क्षमा का महत्व बताते हुए आचार्य प्रवर ने मुख्यमुनि महावीर कुमार से संवत्सरी संबंधी खमतखामणा किये। आचार्य श्री ने कहा कि मुख्यमुनि हमारे सचिव के रूप में सेवा देते है। दिन-रात हर समय सेवा कार्य में नियुक्त रहते है, धर्मसंघ की व्यवस्था के संबंधी कार्य भी इनसे पड़ता रहता है। हमारा इतना बड़ा साधु-साध्वी समुदाय भी है। अनेक रत्नाधिक, वयोवृद्ध संत है, छोटे भी है सभी से आदेश निर्देश आदि कार्य रहता है। इतना बड़ा विनीत श्रावक समाज है, धर्मसंघ की अनेकों संस्थाएं है, व्यवस्था समिति भी जुड़ी हुई है। अन्य संप्रदायों के आचार्यों, साधुओं से भी मिलना होता रहता है आज क्षमापना पर सभी से बारंबार खमतखामणा करता हूँ। सभी धर्मसंघ की खूब सेवा करते रहे।
आचार्य श्री ने आगे कहा कि साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा जी हमारे धर्म संघ में साध्वियों में प्रथम स्थान पर है, 50 वर्षों से प्रमुखा के पद पर है। मुख्य नियोजका, साध्वीवर्या भी हैं। इनसे साहित्य, व्यवस्था, गोष्ठी आदि अनेक रूप से कार्य पड़ता रहता है। गुरुकुलवास, बहिर्विहार में इतनी साध्वियां है। श्रमणी, मुमुक्षु, श्राविका आदि सभी से सम्वतसरी संबंधी बारंबार खमतखामणा। सभी शासन की गौरव वृद्धि में अपना योगदान देते रहे।
मंगल उद्बोधन में गुरुदेव ने कहा- पर्युषण के अष्टान्हिक पर्व का आज मानो समापन समारोह है। आज के दिन मन में यह भावना रहे कि मैं सब जीवों को क्षमा देता हूं , सब जीव मुझे क्षमा प्रदान करें। क्षमा एक महान धर्म है। सशक्त होने पर भी क्षमा को धारण कर लेना बड़ी बात होती है। हम व्यवहार की दुनिया में जीते हैं, जब तक वीतराग नहीं बन जाते सभी छद्मस्थ हैं। परस्पर में सामूहिक व्यवहार चलता रहता है। कभी कोई अप्रियता का प्रसंग भी आ सकता है। आज के इस पावन पर्व पर हमारे मन में क्षमा का प्रक्षालन हो, मन निर्मल बन जाएं। मन में किसी प्रकार की कोई कटुता, गंदगी न रह जाए । हमारे मन, वचन, वाणी में क्षमा धारण हो जाए।
इस अवसर पर मुख्य मुनि महावीर कुमार जी, साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा जी, मुख्यनियोजिका साध्वी विश्रुतविभा जी, साध्वीवर्या संबुद्धयशा जी आदि ने भी अपने विचार प्रस्तुत कर आचार्य प्रवर से खमतखामणा किए।
अभिव्यक्ति के क्रम में चातुर्मास व्यवस्था समिति अध्यक्ष प्रकाश सुतरिया, तेरापंथ सभा अध्यक्ष भेरुलाल चोरड़िया, तेयुप से संदीप चोरड़िया, तेरापंथ महिला मंडल से मीना बाबेल, टीपीएफ से राकेश सुतरिया, अणुव्रत समिति से आनंदबाला टोडरवाल, आवास व्यवस्था से अनिल चोरडिया, भोजन व्यवस्था से सुमित चोरडिया एवं श्रावक समाज की ओर से निर्मल गोखरू ने खमतखामणा कर वक्तव्य दिया।