मुंबई। साध्वी श्री आणिमाश्रीजी एवं साध्वी श्री मंगलप्रज्ञा जी के सांनिध्य में अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल द्वारा निर्देशित अहिंसा प्रशिक्षण कार्यशाला का समायोजन दक्षिण मुम्बई महिला मंडल के तत्वावधान में हुआ। इस कार्यशाला में ब्राह्मी जोन की महिलाओं की अच्छी संख्या में सहभागिता रही।
साध्वी श्री आणिमाश्रीजी ने अपने प्रेरणादायीं उदबोधन में कहा अहिंसा जैन धर्म का प्राणतत्व है। जैन धर्म मे अहिंसा मात्र दार्शनिक विचारधारा ही नही है, किन्तु वह जीवन व्यवहार में प्रतिष्ठित यथार्थ के धरातल पर जीवित है। आग्रहमुक्त विचार एवं व्यवहार अनेकांत का प्रयोग करके अहिंसा को अवतरित किया जा सकता है।
साध्वी श्री मंगलप्रज्ञा जी ने कहा अहिंसा का प्रारंभ बिंदु संवेदनशीलता है, जो व्यक्ति संवेदनशील होता है, वह अहिंसा की सम्यक आराधना कर सकता है। जहां संवेदशीलता होती है, वहां वाणी व्यवहार की कटुता नही होती है। बहिनों को संवेदनशीलता का विशेष अभ्यास करना चाहिए। मुख्य वक्ता के रूप में मुंबई महिला मंडल की सक्रिय अध्यक्षा जयश्री बड़ाला ने अपने सारगर्भित विचारो की प्रस्तुति देते हुए अहिंसा के व्यवहारिक पक्ष को प्रस्तुत किया। साध्वी सुधाप्रभाजी एवं साध्वी मैत्रीप्रभाजी के निर्देशन में भाषण प्रतियोगिता हुई। जिसमें प्रथम रेखा बरलोटा, दिव्तीय रेणु बोलिया एवं तृतीय विजय श्री डागलिया ने प्राप्त किया। सीमा गंगवाल, विधा शाह ने निर्णायक की भूमिका अदा की। रेखा बरलोटा, भावना वागरेचा, वंदना वागरेचा, रेखा एम बरलोटा, रेणु बोलियां ने सुमधुर मंगल संगान किया। स्वागत भाषण संयोजिका भावना वागरेचा ने दिया। संचालन अरुणा कोठारी ने किया। कुकिंग कॉम्पिटिशन में प्रथम स्थान हिना धाकड़, दिव्तीय आशा जैन तृतीय गुंजन सुराणा ने प्राप्त किया। रेणु बोथरा ने हेल्दी डिक एन्ड हेल्दी सेन्डविच बनाने का प्रशिक्षण दिया। सीमा गंगवाल व विधा शाह ने विचार व्यक्त किए। संयोजिका भावना वागरेचा , वन्दना वागरेचा, गुंजन सुराणा, साधना मेहता व पूरी टीम का सराहनीय सहयोग रहा। मंत्री श्वेता सुराणा ,मीना सुराणा, मालविका बहन , विमला नाहटा, आदि की गरिमामय उपस्थित रही। यह जानकारी मीडिया प्रभारी नितेश धाकड़ ने दी।
कालबादेवी तेरापंथ भवन में अहिंसा प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन
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