राजराजेश्वरी नगर। महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या शासनश्री साध्वीश्री कंचनप्रभाजी ने तेरापंथ भवन राजराजेश्वरी नगर में भगवती सूत्र के आधार पर प्रवचन करते हुए कहा सम्यक् दर्शन जीवन की महत्वपूर्ण उपलब्धि है । सम्यक् दर्शन जीवन का वह आलोक है जिसे मानव ज्ञान पूर्वक तप,जप, सामायिक आदि अनुष्ठान करता है उससे दुर्गति के द्वार बंद हो जाते हैं। आपने आगे कहा आज तेरापंथ सभा के मंत्री श्री विक्रम महेर की धर्मपत्नी श्रीमती पदमा महेर 9 दिन की तपस्या का प्रत्याख्यान करने आई है। तपस्या जीवन का वरदान है। तपस्या से आंतरिक शक्तियों का जागरण होता है ।इन्द्रिय चेतना के स्तर पर जीने वाला व्यक्ती तपाराधना नहीं कर पाता। शासनश्री साध्वीश्री मंजूरेखाजी ने कहा प्रबल आत्मबल के बिना तपस्या संभव नहीं होती।तपस्या से पवित्र आभा मंडल के परिवेश को भी सुवासित करता है।साध्वीश्री मंजूरेखा,साध्वीश्री उदितप्रभा,साध्वी श्री निर्भयप्रभा व साध्वीश्री चेलनाश्री ने प्रेरक गीत का संगान कर तप का अनुमोदन किया। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष श्री मनोज डागा ,मंत्री विक्रम महेर,तेयुप अध्यक्ष सुशील भंसाली,महिला मंडल अध्यक्षा लत्ता बाफना, मंत्री सीमा छाजेड, श्री राजमल महेर ने तपस्विनी बहिन को शुभकामना के साथ बधाईयाँ दी। पीतलिया एवं महेर परिवार प्रसन्नता व्यक्त कर रहा था तीनों संस्था के द्वारा अभिनन्दन पत्र तथा साहित्य भेंट कर सम्मान किया। तप वर्धापन का संचालन तेयुप मंत्री विकास छाजेड़ ने किया।