बीजिंग:अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के प्रतिनिधि से मुलाकात पर चीन ने गुस्से का इजहार किया है। ब्लिंकन ने यह मुलाकात अपनी दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान नई दिल्ली में की थी। चीन ने कहा कि यह तिब्बत को चीन का हिस्सा मानने एवं तिब्बत की आजादी का समर्थन नहीं करने की अमेरिकी प्रतिबद्धता का उल्लंघन है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि तिब्बत मामला विशुद्ध रूप से चीन का आंतरिक मसला है जिसमें विदेशी दखल की इजाजत नहीं है। उन्होंने कहा कि 14वें दलाईलामा किसी भी तरह धाíमक व्यक्ति नहीं बल्कि एक राजनीतिक निर्वासित शख्स हैं जो लंबे समय से चीन-विरोधी अलगाववादी गतिविधियों एवं तिब्बत को चीन से अलग करने के प्रयास में लगे हैं।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के पहली बार तिब्बत के दौरे के एक हफ्ते बाद भारत में भी विदेशी कूटनीति की हलचल हुई है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकेन दिल्ली में बुधवार को बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा के प्रतिनिधि नुडुप डोंगछुंग से मिले। डोंगछुंग निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रतिनिधि भी हैं। इस संक्षिप्त मुलाकात के दौरान सिविल सोसायटी के नेता भी मौजूद रहे। अमेरिकी विदेश मंत्री ने ट्विटर पर मुलाकात की तस्वीरें भी साझा की थीं।
ट्विटर पर अमेरिकी विदेश मंत्री ने लिखा कि सिविल सोसायटी के नेताओं से मिलकर खुशी हुई। हालांकि, उन्होंने दलाई लामा के प्रतिनिधि का नाम ट्विटर पर नहीं लिखा। भारत के विदेश मंत्रालय ने भी अमेरिकी विदेश मंत्री की दिल्ली में दलाईलामा के प्रतिनिधि के साथ मुलाकात के बारे में मीडिया में नहीं बताया। दोनों में क्या बातचीत हुई, इस पर उन्होंने कुछ नहीं कहा, लेकिन इसे चीन को सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है।
तिब्बत और दलाई लामा के प्रतिनिधि के मसले को लेकर अमेरिका और चीन के रिश्तों में तनातनी चल रही है। पिछले साल नवंबर में अमेरिका ने अपने व्हाइट हाउस में छह दशक में पहली बार निर्वासित तिब्बत सरकार के किसी प्रधानमंत्री को औपचारिक रूप से बुलाया था। इसके एक माह बाद अमेरिका की संसद ने तिब्बत के समर्थन और दलाईलामा के उत्तराधिकारी को लेकर तिब्बत नीति एवं समर्थन अधिनियम को पारित किया था।