लंदन: ब्रिटिश सेना में महिलाओं के साथ भेदभाव के बारे में वहां की संसदीय समिति ने हैरान करने वाली रिपोर्ट दी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 64 प्रतिशत अवकाश प्राप्त महिला कर्मियों और 58 प्रतिशत कार्यरत महिला कर्मियों ने तंग किए जाने, उत्पीड़न और भेदभाव की शिकायत की है। हाउस ऑफ कामंस की रक्षा मामलों की महिलाओं से संबंधित उपसमिति ने यह रिपोर्ट दी है। इसमें सुरक्षा बलों में महिलाओं की स्थिति का विश्लेषण किया गया है।
महिला कर्मियों के सम्मान की सुरक्षा कर पाने में विफल
रिपोर्ट में कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय और सेना अपनी महिला कर्मियों के सम्मान की सुरक्षा कर पाने में विफल रहे हैं। इससे महिला सैन्यकर्मी अपनी पूरी क्षमता से जिम्मेदारी को नहीं निभा पा रही हैं। संसदीय समिति के इस सर्वे में महिलाओं ने सेना की नौकरी को करियर के रूप में बेहतर माना लेकिन 84 प्रतिशत ने यह भी माना कि इसमें पुरुष सहकर्मियों की ओर से उन्हें चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना करना पड़ता है। सेना में उनके साथ भेदभाव होता है, उनके साथ गैर बराबरी का व्यवहार होता है।
महिला कर्मियों को प्रोन्नति में रुकावटें
उपसमिति की प्रमुख कंजरवेटिव पार्टी की सांसद सराह आर्थटन ने कहा, महिलाएं हमारी सैन्य सफलताओं और देश के सुरक्षा तंत्र का अभिन्न हिस्सा हैं। लेकिन उनसे बातचीत कर पता चलता है कि पुरुष सहकर्मी उनकी मुश्किलें बढ़ाते हैं। महिला कर्मियों को प्रोन्नति में रुकावटों का सामना करना पड़ता है। उनके साथ अनुचित व्यवहार किया जाता है। उन्हें परिवार और बच्चों की ओर से भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
सरकार से अविलंब कदम उठाने की सिफारिश
अवकाशप्राप्त महिला कर्मियों से बात करने पर उनके द्वारा झेली गई मुश्किलों का पता चलता है। उपसमिति ने उनकी समस्याओं के बारे में सुना-जाना, तो पता चलता है कि इन पूर्व महिला कर्मियों ने कितनी मुश्किलें झेली होंगी, वर्तमान कर्मी भी ऐसी ही मुश्किलें झेल रही हैं। उपसमिति ने महिला सैन्यकर्मियों की मुश्किलें दूर करने के लिए सरकार से अविलंब कदम उठाने की सिफारिश की है।