कोलंबो: श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने संसद में सोमवार को यह उजागर किया कि ईस्टर हमले को लेकर भारत ने पहले ही आगाह किया था। लेकिन भारत की ओर से मुहैया कराई गई खुफिया जानकारी पर पुलिस कार्रवाई करने में नाकाम रही थी। यह द्वीपीय देश 21 अप्रैल, 2019 को उस समय दहल गया था, जब नौ आत्मघाती हमलावरों ने कई चर्चो और तीन फाइव स्टार होटलों को निशाना बनाया था। इसमें 11 भारतीयों समेत 270 लोगों की मौत हुई थी। हमले के समय विक्रमसिंघे श्रीलंका के प्रधानमंत्री थे।
विक्रमसिंघे ने संसद में बताया कि उनकी सरकार में मंत्री रहे हरिन फर्नाडो ने हमले के बाद आपबीती सुनाई थी। विक्रमसिंघे के अनुसार, फर्नाडो ने बताया था कि उनकी बहन को पिता ने ईस्टर पर चर्च जाने को लेकर चेताया था कि कोई अनहोनी हो सकती है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जब पुलिस ने भारतीय खुफिया जानकारी पर कुछ नहीं किया तो क्या वह हरिन फर्नाडो की सूचना पर कुछ करती।’
बीते हफ्ते श्रीलंकाई कैथोलिक चर्च ने सरकार से हमले रोकने में नाकाम रहे तत्कालीन प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया था। चर्च ने कहा कि तत्कालीन राष्ट्रपति के आदेश पर हुई जांच में विक्रमसिंघे को दोषी पाया गया था। जांच में यह भी पाया गया था कि उन्होंने देश में बढ़ते इस्लामिक कट्टरपंथ को लेकर नरम रुख अपना रखा था। चर्च ने जांच आयोग की सिफारिशों पर अमल के लिए राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को दस पेज का पत्र लिखा है।