- शांतिदूत ने दी बेईमानी से बचने की प्रेरणा
- कल होगा तेरापंथ नगर में चातुर्मासिक मंगल प्रवेश
17 जुलाई 2021, शनिवार, भीलवाड़ा, राजस्थान। अहिंसा यात्रा प्रणेता शांतिदूत पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी चतुर्विध धर्मसंघ के साथ भीलवाड़ा शहर में पावन प्रवास करा रहे हैं। कल चातुर्मास हेतु आचार्य श्री का तेरापंथ नगर में प्रातः मंगल प्रवेश होगा। सन् 2011 के केलवा चातुर्मास के पश्चात वस्त्रनगरी भीलवाड़ा में आचार्यश्री का मेवाड़ में यह द्वितीय चातुर्मास है। आचार्यवर का चारमासीय पावस पाकर भीलवाड़ा के संपूर्ण जैन व जैनेत्तर समुदाय में हर्षोल्लास का माहौल है।
दो दिवसीय प्रवास के अंतर्गत ज़ी स्कूल में विराजित आचार्य श्री ने मंगल प्रवचन करते हुए कहा- आदमी के स्वभाव में ईमानदारी और बेईमानी दोनों होती है। झूठ न बोलना, चोरी न करना यह इमानदारी के स्वरूप है। इसके उलट झूठ बोलना, चोरी करना बेईमानी होती है। चोरी, बेईमानी के पीछे कारण क्या है, अगर इसके तह में जाए तो आदमी के भीतर की लोभ, राग-द्वेष की वृत्ति इसका कारण होती है और दूसरा कारण अभाव है। जब आदमी के पास खाने को रोटी नहीं, रहने को छत नहीं होती तो अभाववश भी कोई अपराध में जा सकता है।
आचार्य प्रवर ने आगे कहा कि- जिसका संकल्प मजबूत होता है वह अभाव में भी गलत मार्ग पर नहीं जाता। जीवन में हमेशा ईमानदारी रहनी चाहिए। ईमानदारी होती है तो उसके साथ और भी अच्छी चीजें आ जाती है। आज राजनीति, प्रशासन व समाज सभी में ईमानदारी, नैतिकता की अलख जगे यह अपेक्षा है। ईमानदारी के मार्ग में कठिनाई भले आ जाए पर मंजिल इसकी हितकर ही होती है। बेईमानी शॉर्टकट का रास्ता है जिसमें फिर नुकसान ही है, ईमानदारी से लॉन्ग टर्म का हित हो सकता है। हमारे जीवन में, व्यवहार में ईमानदारी की चेतना जगी रहे। कार्यक्रम में साध्वी श्री जिनबाला, साध्वी श्री अखिलयशा ने अपने विचार रखे।