इस्लामाबाद:पाकिस्तान न सिर्फ अपनी जमीन पर आतंकवाद को पनाह देता है, बल्कि आतंकियों के लिए धन भी इकट्ठा करता है। आतंक का आका पाकिस्तान इतना नीच हो चुका है कि वह आतंकवाद की राह में इस्लाम की सबसे पवित्र माने जाने वाली जगह मस्जिद तक का भी बेजा इस्तेमाल कर रहा है, जिसे वहां की विपक्षी पार्टी ने बेनकाब किया है। पाकिस्तान की विपक्षी पार्टी अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) ने दावा करा कि पाकिस्तान की मस्जिदों के जरिए आतंकी संगठन अफगान तालिबान के लिए चंदा इकट्ठा किया जा रहा है। पार्टी ने सरकार से आतंकियों को मस्जिद के जरिए चंदा देने की इस प्रथा को खत्म करने के लिए तेजी से कार्रवाई करने को कहा।
‘डॉन’ की रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी के पूर्व प्रांतीय प्रवक्ता और अवामी नेशनल पार्टी के प्रांतीय अध्यक्ष आइमल वली खान ने सदरुद्दीन मारवात को श्रद्धांजलि देने के लिए बच्चा खान मरकज में आयोजित शोक सभा में बोलते हुए मंस्जिदों में हो रहे दान के संग्रह के बारे में खुलासा किया। उन्होंने कहा कि तहरीक-ए-तालिबान अफगानिस्तान (आतंकी संगठन) की मान्यता की वकालत करने वाले लोगों को पख्तूनों का दोस्त नहीं कहा जा सकता।
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि आइमल वली खान ने दावा किया कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ और जमात-ए-इस्लामी सरकार में सहयोगी नहीं हैं, मगर उन दोनों को एक ही स्रोत से आदेश मिल रहे हैं। ‘डॉन’ की खबर के अनुसार, एएनपी नेता ने कहा कि उनकी पार्टी ने हमेशा इस बात की ओर संकेत दिया है कि आतंकवादी देश के कुछ हिस्सों में फिर से संगठित हो रहे हैं, मगर सरकार ने उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की कोई परवाह नहीं की। उन्होंने कहा कि पिछली गलतियों को ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान को आतंकवाद को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए अपनी प्राथमिकताएं तय करनी चाहिए।
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, एक रिपोर्ट में पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टडीज ने कहा कि विभिन्न आतंकवादी, विद्रोही और हिंसक सांप्रदायिक समूहों ने तीन आत्मघाती विस्फोटों सहित पूरे पाकिस्तान में 146 हमले किए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 36 प्रतिशत से अधिक की गिरावट है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), जो पाकिस्तान में एक प्रतिबंधित संगठन है और उसके सहयोगी 2020 में पाकिस्तान में अस्थिरता के प्रमुख कारक बने रहे, जिसने कुल 67 आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया।