मुंबई:महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रसार को देखते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने उद्धव सरकार से लॉकडाउन लगाने को लेकर सवाल किया है। हाई कोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि कोविड-19 के प्रसार को सफल ढंग से रोकने के लिए क्या कम से कम 15 दिन के लिए पिछले साल की तरह लॉकडाउन” लगाने पर विचार करने का वक्त आ गया है।
मुख्य न्यायाधीश दिपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी से पूछा कि क्या राज्य को यकीन है कि नागिरकों की आवाजाही पर उसके मौजूदा प्रतिबंध काम कर रहे हैं। पीठ ने पूछा, क्या आपके विचार में प्रतिबंध काम कर रहे हैं और यह मानते हैं कि बस वही लोग बाहर निकल रहे हैं जिनका कार्य अत्यावश्यक है?
पीठ ने कहा, अगर कम से कम 15 दिन लोग पिछले साल की तरह पूरी तरह घर में बंद रहें तो हम बेहतर परिणामों की उम्मीद कर सकते हैं। कृपया अपनी सरकार को सलाह दें। अदालत ने कुंभकोनी से कहा, हम कोई आदेश जारी नहीं कर रहे लेकिन क्या आपको लगता है कि सरकार को पिछले साल की तरह लॉकडाउन लगाने पर विचार करना चाहिए?
आगे बढ़ाया जाएगा मौजूदा लॉकडाउन
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बुधवार को कहा था कि मौजूदा लॉकडाउन जैसे प्रतिबंधों को 30 अप्रैल के बाद भी 15 और दिनों के लिए बढ़ाया जाएगा। लोगों की आवाजाही और कई अन्य गतिविधियों पर सख्त प्रतिबंध 14 अप्रैल से लागू हैं। आवश्यक सेवाओं को इन प्रतिबंधों से छूट है।
तत्काल अग्नि ऑडिट करने के निर्देश
अदालत ने महाराष्ट्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि नगरपालिका के अधिकारी राज्य भर के अस्पतालों, नर्सिंग होम और कोविड-19 देखभाल केंद्रों का तत्काल अग्नि ऑडिट करे। अदालत ने पड़ोस के ठाणे जिले के एक निजी अस्पताल में बुधवार को लगी आग की घटना पर कहा, “फिर से चार लोगों की मौत हो गई।
‘हम अस्पतालों में आग लगने की घटनाएं और नहीं सुनना चाहते’
इसने कहा, हम अस्पतालों में आग लगने की घटनाएं और नहीं सुनना चाहते। कृपया, ध्यान दें कि यह बहुत मुश्किल समय है। पीठ ने कहा कि मरीज दर्द में है और उसके पास यह जांचने का वक्त नहीं है कि अस्पताल सुरक्षित हैं या नहीं। अदालत महाराष्ट्र में कोविड-19 इलाज के अनुचित प्रबंधन के आरोप संबंधी एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें रेमडेसिविर और ऑक्सीजन आपूर्ति की कमी से जुड़े मुद्दों पर भी निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।