नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल से इलक्टोरल बॉन्ड्स की बिक्री पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। बॉन्ड्स पर रोक को लेकर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है। पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु समेत 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला अहम है। इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। हालांकि कोर्ट ने तब यह सवाल जरूर किया था कि यदि किसी राजनीतिक दल को 100 करोड़ मूल्य के बॉन्ड मिलते हैं, तो इन बॉन्ड्स अवैध गतिविधियों या राजनीतिक एजेंडे के बाहर इस्तेमाल करने को लेकर क्या कंट्रोल है?
केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि 2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम शुरू होने के बाद, चुनावी फंडिंग में काले धन पर रोक लगी, क्योंकि कोई भी कैश नहीं लिया गया। बॉन्ड्स सिर्फ चेक या फिर डीडी के जरिए से ही खरीदे जा सकते हैं। वहीं चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए वरिष्ठ एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने कहा था कि चुनाव आयोग इन बॉन्ड्स का विरोध नहीं कर रहा है, बल्कि इसकी गुमनामी पर चिंता जताई है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा 1 अप्रैल से चुनावी बांड की नई बिक्री को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी वैधता पर फैसला लेने तकक याचिका दायर की गई है। एनजीओ ने यह कहते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की कि नए इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री तब तक रोक दी जाए, जब तक कि शीर्ष अदालत चुनावी बॉन्ड योजना 2018 को चुनौती देने वाली तीन लंबित याचिकाओं का फैसला नहीं कर लेती।