चेन्नई। जैन विद्याश्रम के विद्यालय प्रांगण में जनमेदनी के साथ विद्यार्थियों को शिक्षा बोध प्रदान करते हुए आचार्य श्री महाश्रमणजी के आज्ञानुवर्ती उग्रविहारी, तपोमूर्ति मुनि श्री कमलकुमारजी ने कहा कि हम पढ़ाई के साथ चरित्रवान बने, विनयवान बने। विनयवान विद्यार्थी को ही विद्या मिलती हैं। विद्यार्थी सदैव एक दूसरे का आदर-सम्मान करें। वे व्यसन मुक्त रहें। असहयायों का सहारा बने। अपनी कथनी एवं करनी में कभी भी अंतर नहीं लाएं। जो विद्यार्थी सहिष्णुता की साधना कर लेता है, इष्ट आराधना को पा सकता है, फिर उसे किसी भी तरह की कोई भी विराधना नहीं सताती।
मुनि श्री ने विशेष रुप से कहा कि विद्या ही असली धन है। जिसका यह सम्यक् चिंतन है और साथ में सदाचरण हैं, उसको ही धरती पर भगवान कहते हैं।
अणुव्रत महासमिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री चंचयजी बैद एवं श्री अविनाश नाहर ने अणुव्रत विश्व भारती की दक्षिणांचल यात्रा के आज प्रारम्भ के अवसर पर कहा कि अणुव्रत कहता है कि इंसान पहले इंसान, फिर हिंदू या मुसलमान। आपने विद्याश्रम में जीवन विज्ञान एवं अणुव्रत आचार संहिता को लागू करने का निवेदन किया।
जैन विद्याश्रम के संस्थापक श्री किशनलाल चोरडिया ने मुनि श्री कमलकुमारजी के जैन विद्याश्रम में पधारने पर कृतज्ञता के भाव प्रकट करते हुए सभी का स्वागत अभिनंदन किया एवं उन्होंने जीवन विज्ञान और अणुव्रत आचार संहिता को विद्यालय में लागू करने का आश्वासन दिया। आपने कहा कि इस विद्यालय में लगभग 4000 विद्यार्थी शिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। वे सभी प्रतिदिन नमस्कार महामंत्र स्मरण करते हैं। सभी शुद्ध शाकाहारी हैं। श्री चोरडिया ने प्रेयर हॉल को महाश्रमण प्रेयर हॉल (प्रार्थना कक्ष) के रूप में घोषित किया। विद्याश्रम के कोषाध्यक्ष श्री अमृतलाल डागा, सुश्री गरिमा डागा, दक्ष डागा, गजेन्द्र खांटेड़ ने अपने विचार व्यक्त किए। श्री जयचन्दजी पुगलिया ने मुनि श्री से नौ दिन की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री विमल चिप्पड़ ने तपोभिन्दन का वाचन कर सभी संघीय संस्थाओं की ओर से तपस्वी का अभिनन्दन किया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन सहमंत्री संपतमलजी बागमार ने किया। मुनि श्री का विद्याश्रम प्रांगण में पधारने पर विद्यालय परिवार की ओर से भावभीनी स्वागत किया गया।
विद्या ही असली धन : मुनि श्री कमलकुमार
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