वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप चीन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घेरने के लिए हर तरह के दांव चल रहे हैं। ट्रंप ने अब चीन की महत्वाकांक्षी ‘वन बेल्ट वन रोड’ (OBOR) परियोजना की काट और पेइचिंग के जियोपॉलिटक प्रभाव को कुंद करने के लिए एक महत्वपूर्ण बिल पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत अब एक नई फॉरेन एड एजेंसी बनेगी जो अफ्रीका, एशिया और अमेरिकी देशों में आधारभूत परियोजनाओं को आर्थिक मदद देगी।
न्यू यॉर्क टाइम्स के अनुसार यूएस इंटरनैशनल डिवेलपमेंट फाइनैंस कॉर्प नामक यह कंपनी अफ्रीका, एशिया और अमेरिकी देशों के 60 अरब डॉलर के लोन, लोन गारंटी दे सकती है। इसके अलावा जो कंपनियां इन विकासशील देशों में बिजनस की इच्छुक होगी उसको इंश्योरेंस दे सकती है। ट्रंप ने पिछले हफ्ते इस बिल पर साइन किए हैं। हालांकि ट्रंप का यह कदम उनके 2015 के चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए बयान के एकदम उलट है। उस दौरान ट्रंप अपने भाषणों में विदेशी एड की आलोचना करते थे।
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के स्टैंड में बदलाव के पीछे उनका चीन को आर्थिक, तकनीक और राजनीतिक तौर पर अलग-थलग करने की कोशिश है। चीन एशिया, पूर्वी यूरोप और अफ्रीका में बड़ा प्रभुत्व हासिल करने के लिए यहां बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है। रिपब्लिकन प्रतिनिधि टेड योहो ने कहा, ‘अब ट्रंप आग के साथ आग से ही खेलना चाहते हैं। मैं भी बदल चुका हूं और मुझे लगता है कि अब वह (ट्रंप) भी बदल चुके हैं। यह सबकुछ चीन के लिए हो रहा है।
ट्रंप के इस प्रयास को चीन के दुनिया में बढ़ते आर्थिक और पॉलिटिकल प्रभाव को कम करने के तौर पर देखा जा रहा है। ट्रंप ट्रेड वॉर शुरू करते हुए चीन पर इस साल अबतक 250 अरब डॉलर के टैरिफ लगा चुके हैं। अमेरिका ने पिछले सप्ताह यह भी साफ किया था कि वह चीन को एक्सपोर्ट किए जाने वाले सिविल न्यूक्लियर तकनीक में भी कमी करेगा।
चीन ने पाकिस्तान, नाइजीरिया में सबसे ज्यादा निवेश कर रखा है। चीन की महत्वकांक्षी परियोजना OBOR पाकिस्तान से होकर ही गुजरती है। दरअसल, चीन की मंशा अपने निवेश के जरिए जियोपॉलिटकल प्रभाव और प्राकृतिक संसाधनों तथा तेल पर अधिकार जमाने का है। चीन इसके अलावा इन देशों में कई परियोजनाओं पर अरबों खर्च कर रहा है जबकि उसे पता है कि यहां से उसे कुछ नहीं मिलने वाला है। पिछले महीने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा था कि वह अफ्रीका को 60 अरब डॉलर की वित्तीय मदद प्रदान करेगा।
सेनेट फॉरेन रिलेशन कमिटी के चेयरमैन रिपब्लिकन सेनेटर बॉब क्राकर ने कहा कि यह प्रयास एक तरह से स्ट्रटीजिक शिफ्ट है। ट्रंप शायद सीख रहे हैं कि मिलिटरी ताकत ही अकेली ताकत नहीं होती और चीन से मुकाबले के लिए यह अकेले पर्याप्त नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि चीन पूरे अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में निवेश कर रहा है। अब हम भी जाग गए हैं और हमें इन देशों में निवेश करना होगा।’
OBOR की काट के लिए डॉनल्ड ट्रंप ने चला नया दांव
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