नई दिल्ली:चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने भारतीय सेना की तारीफ करते हुए कहा कि वे जिन परिस्थितियों में रहते हुए सीमा की हिफाजत करते हैं, ऐसा शायद ही कहीं देखने को मिले। जनरल रावत ने शनिवार को बतौर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ एक साल पूरे कर लिए। इस मौके पर उन्होंने अरुणाचल प्रदेश और असम में चीन सीमा से लगे अग्रिम सैन्य अड्डों का दौरा किया।
हाल ही में चीन ने लद्दाख के बाद अरुणाचल से सटे इलाकों में भी अपनी पहुंच बनानी शुरू कर दी है। ऐसे में बिपिन रावत का यह दौरा बेहद अहम माना जा रहा है। दरअसल, चीन ने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा के पास तिब्बत के ल्हासा और नयींगशी शहरों को जोड़ने के लिए रेल पटरी बिछाने का काम 31 दिसंबर को पूरा कर लिया है। शिचुआन-तिब्बत रेलवे, शिचुआन प्रांत की राजधानी चेंगदु से शुरू होता है और यह यान से गुजरते हुए और छामदो होते हुए तिब्बत में प्रवेश करता है। इस रेलमार्ग से चेंगदु और ल्हासा के बीच यात्रा में लगने वाला समय 48 घंटे से घटकर 13 घंटे रह गया है। तिब्बत की राजधानी ल्हासा और पूर्वी तिब्बत में स्थित नयींगशी को जोड़ने वाले इस रेल मार्ग का निर्माण कार्य 2014 में शुरू हुआ था।
दूसरी ओर, पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन से चल रहा विवाद अभी तक थमा नहीं है। राजनयिक और सैन्य स्तर पर कई दौर की वार्ता भी विवाद को सुलझाने में नाकाम रही है। हालांकि, दोनों ही देश सीमा विवाद को हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और नौंवे दौर की वार्ता जल्द होने की उम्मीद है।चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल तान केफेई तान ने बीते गुरुवार को एक ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच आठवें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता के बाद से ही दोनों पक्षों ने अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों की वापसी पर चर्चा जारी रखी है।
चीनी रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए उनके बयान के अंशों के अनुसार सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति सामान्य तौर पर स्थिर है। उन्होंने कहा कि चीन सैन्य और कूटनीतिक माध्यमों से भारत के साथ वार्ता कायम रखने का इच्छुक है। तान ने कहा कि समान लक्ष्य की दिशा में भारत से भी चीन के साथ मिलकर काम करने, कोर कमांडर स्तर की बैठकों में बनी सहमति को क्रियान्वित करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव को कम करने के लिए व्यावहारिक कदम उठाने की उम्मीद है। मई में शुरू हुए गतिरोध के समाधान के लिए भारत और चीन कई दौर की सैन्य तथा कूटनीतिक स्तर की वार्ता कर चुके हैं।