नई दिल्ली:गुजराती में कहावत है- जिसका अन्न एक, उसका मन एक। इसके मायने जानने हैं तो बुधवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में जो हुआ, उसे समझ लीजिए। दिल्ली के दरवाजे पर 35 दिन से आंदोलन कर रहे किसान यहां सरकार से सातवीं बार बातचीत करने पहुंचे थे। हर बार की तरह अपना खाना साथ लेकर आए थे। इस बार अलग ये हुआ कि सरकार के दो मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल किसानों के लंगर में शामिल हो गए। तीन घंटे बाद बैठक खत्म हुई और दो मुद्दों पर रजामंदी बन गई। अगली बैठक 4 जनवरी को दोपहर 2 बजे होगी।
4 मुद्दों पर मतभेद थे, थोड़ा सरकार झुकी और थोड़ा किसान झुके
किसानों के 4 बड़े मुद्दे हैं। पहला- सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले। दूसरा- सरकार यह लीगल गारंटी दे कि वह मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी MSP जारी रखेगी। तीसरा- बिजली बिल वापस लिया जाएगा। चौथा- पराली जलाने पर सजा का प्रावधान वापस लिया जाए।
5 घंटे की बातचीत के बाद आधी बात बनी
पांच घंटे की बातचीत के बाद बिजली बिल और पराली से जुड़े दो मुद्दों पर सहमति बन गई। सरकार किसानों की चिंताओं को दूर करने पर राजी हो गई। इसके बाद किसान नेताओं ने भी नरमी दिखाई। उन्होंने 31 दिसंबर को होने वाली ट्रैक्टर रैली को टाल दिया। कृषि कानून और MSP पर अभी भी मतभेद बरकरार हैं।
सरकार का किसानों को भरोसा
बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया, “किसानों का कहना था कि पर्यावरण से जुड़े ऑर्डिनेंस में पराली के मामले में किसानों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। सरकार और किसानों में इस मुद्दे पर रजामंदी बनी है। दूसरा मुद्दा इलेक्ट्रिसिटी एक्ट का है, जो अभी आया नहीं है। किसानों को लगता है कि इस एक्ट से उन्हें नुकसान होगा। किसानों को सिंचाई के लिए जो सब्सिडी दी जाती है, वैसी ही चलनी चाहिए। इस भी रजामंदी हो गई है।’
कृषि कानूनों पर किसानों को मना रही सरकार
तोमर ने बताया, ‘किसान यूनियन तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की बात करती रही। हमने अपने तर्कों से उन्हें यह बताने की कोशिश की कि किसान की कठिनाई कहां है? जहां कठिनाई है, वहां सरकार खुले मन से विचार को तैयार है। MSP के विषय में भी सरकार पहले से कहती रही है कि ये जारी रहेगी। किसानों को ऐसा लगता है कि MSP को कानूनी दर्जा मिलना चाहिए। दोनों मुद्दों पर चर्चा जारी है। हम 4 जनवरी को 2 बजे फिर से इकट्ठा होंगे और इन विषयों पर चर्चा को आगे बढ़ाएंगे।’