नई दिल्ली:लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में पिछली रात बर्फबारी हुई और 1597 किलोमीटर लंबे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर तापमान शून्य के नीचे जा चुका है। बर्फीली हवा मौसम को और भी भयानक बना देती है। हालांकि, यह मौसम की मार भारतीय सैनिकों के फौलादी जज्बे के सामने उसी तरह फीकी पड़ जाती है, जिस तरह देश के जांबाजों ने चीनी सैनिकों के मंसूबों को नाकाम कर दिया है। सेना यहां एक साथ दो दुश्मनों से मुकाबला कर रही है।
दोनों ही मोर्चे पर कठिन चुनौती के बावजूद भारतीय सेना के वीर पोजिशन से एक इंच भी पीछे नहीं हटे हैं। टकराव वाले सभी इलाकों में सैनिक मई से ही पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) के सैनिकों के सामने डटे हुए हैं। भारत और चीन में टकराव को कम करने के लिए बनी सहमति की रिपोर्ट्स के बीच जमीन पर स्थिति में अभी कोई बदलाव नहीं आया है। भारत और चीन के बीच 8 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई ठोस परिणाम नहीं दिखा है।
खराब मौसम से विचलित हुए बिना भारतीय सैनिक स्नो टेंट और इगलू में रह रहे हैं, जबकि ठंड और भारतीय सैनिकों के हौसले के सामने पस्त पड़ चुके चीनी सैनिक कंटेनर्स में दुबके हुए हैं। भारतीय सेना स्पेशल फोर्सेज के साथ एलएसी पर तैनात है और तनाव बरकरार है इसलिए बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन ने ऊंचे पहाड़ों पर मौजूद सभी पासों- मारसिमिका ला (हॉट स्प्रिंग के साथ 18314 फीट की ऊंचाई पर), चांग ला (पैंगोंग त्सो रोड पर 17585 फीट की ऊंचाई पर) और खारदूंग ला (DBO रोड पर 17582 फीट की ऊंचाई) को सैन्य आवाजाही के लिए सर्दियों में भी खुला रखने का फैसला किया है।
एक टॉप मिलिट्री कमांडर ने कहा, ”चरणबद्ध तरीको से सैनिकों के पीछे हटने की खबरें अभी अटकलबाजियां हैं, क्योंकि सैन्य कमांडर्स स्तर पर बाचतीच अभी जारी है। जमीन पर पोजिशन में अभी कोई बदलाव नहीं आया है और भारतीय सैनिकों का मनोबल ऊंचा है। वे पीएलए और खराब मौसम की हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।”
एक पूर्व सैन्य प्रमुख और एक बड़े कूटनीतिज्ञ ने एक सुर में कहा कि एलएसी पर तनाव आसानी से खत्म नहीं होगा, क्योंकि दोनों पक्ष एक दूसरे की क्षमता और मौसम के खिलाफ खड़े रहने की क्षमता परख रहे हैं। एक पूर्व आर्मी चीफ ने कहा, ”यह एकटक आंख मिलाने वाला खेल है, जो पहले आंख झपकाएगा वह हार जाएगा।”