आदित्य तिक्कू।।
बधाई हो हमने हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर (एचएसटीडीवी) देश में तैयार करने में कामयाबी हासिल कर चुके है। इसे डीआरडीओ ने तैयार किया है। उड़ीसा के बालासोर स्थित एपीजे अब्दुल कलाम रेंज में सोमवार को इसका परीक्षण पूरी तरह से सफल रहा। इसे स्क्रैमजेट (तेज रफ्तार) इंजन की मदद से लॉन्च किया गया। हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी एक खास तरह की टेक्नोलॉजी है। जिसके इस्तेमाल से किसी मिसाइल की स्पीड आवाज से 6 गुना तेज हो जाएगी। भारत यह तकनीक हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन भी यह तकनीक तैयार कर चुके हैं।
हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी तकनीक रक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति है, भविष्य में इसकी मदद से बहुत तेज रफ्तार से चलने वाली मिसाइलें बनाई जा सकेंगी। दुनिया के ज्यादातर देश अभी जिन मिसाइलों का इस्तेमाल करते हैं उन्हें ट्रैक करके रास्ते में ही नष्ट किया जा सकता है। परंतु हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी वाली हाईस्पीड मिसाइलों को रास्ते में मार गिराना लगभग नामुमकिन होता है। इन मिसाइलों को हजारों किलोमीटर का फासला तय करने में सिर्फ कुछ मिनट लगते हैं। दुनिया के कई देश अभी हाइपरसोनिक मिसाइलों को नष्ट करने वाला एयर डिफेंस सिस्टम बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी तक किसी को भी इसमें कामयाबी नहीं मिली है। यानी भारत में इस तकनीक से बनी मिसाइलें आसानी से शत्रुओं को निशाना बना पाएगी। हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी में इस सफलता से भारत को और शक्तिशाली बनाने में बड़ी मदद मिलेगी।
सबसे खास बात, भारत स्वदेशी तकनीक या इंजन के दम पर इस मुकाम को हासिल करने जा रहा है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित हाइपरसोनिक टेस्ट डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल (एचएसटीडीवी) का परीक्षण सोमवार सुबह 11.03 बजे अग्नि मिसाइल बूस्टर का उपयोग करके किया गया। आगे की तैयारी अगर सही चली, तो भारत पांच वर्ष में एक सक्षम स्क्रैमजेट इंजन के साथ हाइपरसोनिक क्षमता विकसित कर लेगा। भारत की अंतरिक्ष और विमानन शक्ति बहुत बढ़ जाएगी। भारत के लिए प्रति सेकंड दो किलोमीटर से भी अधिक की रफ्तार हासिल करना संभव होगा।
यह परीक्षण गति, तापमान, प्रदर्शन के हर पैमाने पर आशा के अनुरूप रहा है। यह हाइपरसोनिक व्हीकल न केवल 2,500 डिग्री सेल्सियस के तापमान को झेलने में सफल रहा है, अत्यधिक तेज रफ्तार भी इसकी राह में बाधा नहीं बन पाई है। खास बात यह है कि इस तकनीक का प्रयोग मिसाइल के अलावा भी अन्य सकारात्मक कार्यों में हो सकेगा। अभी जो तकनीक विकसित हो रही है, वह मानव रहित तेज विमान की तकनीक है, लेकिन भविष्य में मानव के सवारी योग्य हाइपरसोनिक यान का निर्माण भी संभव है। इसके अलावा, भारत जिस तकनीक का विकास कर रहा है, वह किफायती है और भविष्य में भारत के लिए सैटेलाइट लॉन्च करने का खर्च भी बहुत कम हो जाएगा।
अपनी बात को अल्पविराम देता हूं और एक बार फिर से प्रत्येक भारतीय को इस सफलता की ढेरों बधाई। …. जय हिंद- जय माँ भारती
भारत की यह कामयाबी वाकई बहुत बड़ी है। इससे भारत देश काफी आगे बढ़ेगा और ताकतवर भी बनेगा। इस लेख की सराहना हम करते है।